स्त्री - पुरुष | Stri Purush
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.45 MB
कुल पष्ठ :
43
श्रेणी :
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No Information available about श्री गुलाबरत्न बाजपेयी - Shree Gulaabratn Bajapeyai
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नवययुषर्योकि लिये 'काम-विज्ञानकी शिक्षा जरूरी है
श्ानन्दमय जाविप्फारों में पेत्द होकर भाग्य तथा मगवान को
बोसता ि। यदद मनुष्य फो जद्ललीपन दै। जिसे दूर कर उसे
महा मनुष्य घनाने की सरूरत है ।
टेकिन यद मद्दामनुष्य परसे गे सा सकते हैं हजारों लाएं
थी मंरय्या में इन्हें सनन फरने फी तरकीये कया हैं ? इसका एक
हो चपाय हैं, समाज में द्सिक दिमाग फे जितने आदमी हैं,
हन्हें समाज के बाहर पर देना । इस सरदफे मनुष्य जब सक
गीदड़ बच्चे पैदा फरते रहेंगे, समाज में ऐसे धूणित आदमी भरते
जायेंगे, जो स्वयं शासन फार्य में तो मूख दोंगि दी, सुयोग्य आद-
मिरययों के शासन को भानने के लिये भी सैयार न दोंगे।' अब
दमारा युग नये आदमियोंफि इतिहास से शुरू दोना 'वादिये । इस
नये इतिदास का आधार शोगा स्पाधीन भारत के मनुप्य का
जीवित नया खून । जिसमें रोग फे वीज, और नियुद्धिता की
जड़तायें न होंगी। यह खून दोगा निर्मठ, सतेज बुद्धि द्वारा
उश्ज्वल और मनुष्य की मदिमा से मद्दान ।
जिस दिन मारे थीच इस तरदद के मददामनुप्य पैदा होने
खंगि-सादित्य, शिल्प और उठित कठा के सम्बन्ध में उनकी
धारणायें वदठ जायंगी, उनके जीवन यशस्वी, सच्चे तथा ईमान-
दार दोंगे। वे अपने कत्तर्या को सममेंगे। स्त्री पुरुप दोनों की
तढाक का दक होगा; लेकिन तठाक देने की जरूरत न सममी
जायगी |
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