आत्मानुशासन | Atmanushasan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about वंशीधर शास्त्री - Vanshidhar Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बतस्ततश्व
इति कतिप०
उबक
उत्पन्नोस्य ०
उग्रग्रीष्म ०
उपायकोटि.
उच्छवासखे द.
उत्पाद मोह.
उत्तुज्ञसंगत,
ड्यक्त रत्व
ऋषभो नामि०
एतामुत्तम,
एते ते मुनि०
एकमेकक्षणे
एकेश्वये.
एकाकित्व.
कृबस
कृत्या धमे.
कते त्वहे तु.
कः स्वादो वि-
कष्ट प्त्वा
कि मर्माण्य०
कदा कर्थ
: कुबाधरा ०
क्रुद्धा: प्राण ०
कृण्ठस्थ: काल.
कलो दण्डो
करीतु न
खातेभ्यास-.
१९७
२४५
४२
४३
प् ६
पर
धरे
१३२४
२०८
२४७
१२९,
१५२
ही
२३७
२२३२'१
१३७
बणोनुक्रम-सूची.
ग
गन्तुमुच्छास,
गलत्यायुः
गुणागुणवि.
गहं गुहा
गुणी शुणम.
चित्तस्थमप्य,
चक्र विद्वाय
जना धनाश्थ
जन्मताल.,
जन्मततान-
जीविताशा
जातामय:
'जिनसेना.
त
तादात्म्य॑ तनु.
। तत्कृत्य कि०
| तपोवल्यां
तव युवति.
त्यक्तहेत्व ०
तृष्णा भोगेषु
त्यजतु तपसे
तदेव तद.
तथा अ्रत.
९७१ | तपःश्रुत.
२००
३४
|
|
|
ताव द्दु 'खा,
तन्राप्याश्वं
२१
५७
५७
१७६
१५४
२४१२
२०९
२०९
५९
90
१६७
२००
२७५९
8५
२८
१९०
१२८
१४४३
१६७५
१६८
१७४
१९.०
२१८
२२०
२२४
User Reviews
No Reviews | Add Yours...