पुष्पान्जलि | Pushpanjali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ईश्वर-स्तुति । [७ ७-07. 393म----मासम-मनानाम नमक. ल्‍रामम३ःनन+तनन+-ननमाननतकन नानक टन सब न + “क्‍ना+++ 5० -जन+-+ न 2 न ननिनिनननीी-- न जब 3पल »- 3 अमन ज मात पुत्र प्रकट संसारा, घवर्ण किसे यह कीट विचारा। राज्य तेरा है अटल अनंत, गाव निस दिन ऋषि मुनि संत । दाता जगत के हो प्रभू स्वामी, घट घट के हो अन्तयामी ।। नाम तेरा हरि जग पितु माता, जीव जन्तु सबका हे त्राता। कोन कद्दे तब पोषण बाता, निवल हीन हम तन मन गाता ॥ तू प्रभु सबका है महाराजा, चांद सूर्य ग्रह तुम्हरे काजा॥ भजन नं० ९ । ऊंची है शान तेरी ऊंचे मकान वाले, तुभतक हो-कब रसाई ओ-ल(-मकान वाले । देरो हरम में हूंढ़्ा लेकर चिराग बरसों, तेरा निशां न पाया ओ ला मकान वाले। सीढ़ी लगारहा हे क्यः-अक्ल नुकता रसकी, घर दूर हे खुदा का ओ नदबान वाले । है अक्न या शिकस्त तेरी रहे तलब में, दोड़ायें खाक घोड़े वहमो गुमान वाले अब्ने करम से तेरे है आबरुये हस्ती, ओ कोस आसमां के रंगीं मकान वाले। दिल में तजल्ली तेरी आंखों में नूर तेरा, कालिब में रूह तू है जानो के जान वाले । कर तक बज्मे दुनिया, पर्दा-डठा खुदी का, ओ महतवे खुदनुमाई ओ आन ब(न वाले । भजन नं० १० | गए दोनों जहां नज़र से गुजर, तेरी शान का कोई वशर न मिला । ५-० .-न कप. -न० 3 . पाक -3+4+4++पकनकन--+-+न+जवाा कक. १७- ९) >०ऊ-ककाक.. «2 ला न नसकम>«»-नम>«+-ना... उन




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