संक्षिप्त महाभारत | Sankshipt Mahabharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58 MB
कुल पष्ठ :
946
श्रेणी :
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No Information available about श्री जयदयालजी गोयन्दका - Shri Jaydayal Ji Goyandka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८३६-कालकवृक्षीय मुनिका राजा जनक और
क्षेमदर्शीमिं मेल कराना
३७-समुद्र और नदियोंका संवाद द
८३८-चाण्डालका आना और जाल कट जानेसे चूहे
तथा बिलावका भागना
८5३९-पूजनी चिडिया और राजा ब्रह्मदत्तका संवाद
छ४०-कबूतरवा अतिथिसत्कार--व्याघको भोजन
देनेके लिये स्वय आगमें कूदकर प्राण देना
८४१-जनमेजयका इन्द्रोत मुनिकी शरणमें जाना . .
छ४२-भगवान् शंकरका मरे हुए वालकको जिलाना
प८४३--राजधर्मा घकका गौतम ब्राह्मणकी थकावंट दूर
करनेके लिये अपने पखोसे हवा करना
८४४-गीदड़रूपधारी इन्द्र और काश्यप ब्राह्मणका
संवाद
८४५-कंलास-शिखरपर बेठे हुए भूगुजीसे भरद्वाज
मुतिका प्रश्न करता...
८४६-जापक ब्राह्मणको सावित्री देवीका दर्शन
८४७-जापक ब्राह्मणके पास राजा इक्ष्वाकुका आना
पडंप-मनु और बृहस्पतिका संवाद 0४
पो४९-भगवान् बराहके द्वारा देत्योका संहार .. .
६५०-महपि पञ्चशिखका राजा जनकको उपदेश
८ं५१-देवपि भारद और इन्द्रका गद्भातटपर
सूर्योपस्थान करना और आकाशसे आशा
आदि देवियोके साथ लक्ष्मीजीका प्रकट होना
८५२ए-भगवान् श्रीकृष्णका उप्रसेनसे नारदजीके
गुणोका वर्णन आब
८५३-व्यासजीका शुकदेवको उपदेश
८५४-जाजलिकी जटामें चिड़ियोका घोंसला बनाकर
रहना
४५५-पैरोपर पड़े हुए अपने पुत्र चिरकारीको
गौतमका आश्वासन देना हर
८४५६-तपस्वी ब्राह्मणको कुण्डघार मेघका दर्शन देना
८५७-शुकाचार्यः अनुरोधसे सनकादिकोका
* बृब्नासुरको उपदेश
८५८-इन्द्रपर ब्रह्महत्याका आक्रमण
८५९-दक्षके यज्ञ्में दधी चिके द्वारा भगवान् झंकरको
पूजा न होनेका विरोध . - शर
८६०-भहादेवजी और भवानीके क्रोधसे वीरभद्र
और भद्वकालीका प्रादुर्भाव
८६१-अरिप्टनेमिका राजा सगरको उपदेश
( १७ )
पृष्ठ-संख्या
* ११४९
११४५
११७०
११७२
११७६
११७९
११८२
« (१९३
श्र०्३
श्र्ण्ड
१२१३
१२१४
१२१६
श्स्र्र
१२२९
१२३७
» रश४०
कर
१२६०
१२६६
१२७१
- १२७७
१२७९
शस्त्र
श्श्घ२
» करे है
न पृथ्ठ-संख्या
८६२-राजा जनकको पराशर मुनिका उपदेश . .. १२९२
८६३-साध्यगणोंको हंसका उपदेश ००० रै३े००
८६४-वमिष्ठका राजा करालजनकको उपदेश , .. १३०५
८६५-राजकुमार वसुमान्का एक ऋषिके पास जाना १३१०
८६६-याज्ञवल्वयके ध्यान करनेपर 3>कारसहित
सरस्वतीदेवीका प्रकट होना
८६७-व्यासजीको भगवान् शंकरका वरदान देना
८६८-शुकदेवका प्रादुर्भाव और वहाँ पार्वतीसहित
भगवान् शंकर तथा इन्द्रका आगमन न हैश्रु
८६९-मिथिलाके 'राजद्वारपर शुकदेवजीका द्वार-
पालोंद्वारा रोका जाना ...
८७०-स्त्रियोंस घिरे होनेपर भी शुकदेवजीका
निविकारभावसे ध्यानस्थ होना - १२३
८७१-राजा जनकका आतिथ्य स्वीकार करके
शुकदेवजीका उनसे प्रइन करना « ३२४
5७२-ध्यासजीके आश्रमपर नारदजीका आना और
उनकी उदांसीनताका कारण पूछना » १३२६
६७३-शुकदेवजीको नारदजीका उपदेश »« १३२७
८७४-भगवान् नर-नारायणके द्वारा नारदजीकी
दद्घाका समाधान. --- रैरेरे४
८७५-श्वेतद्वीपमें भगवान्का विश्वरूप व्रूप धारण करके
नारदजीको दर्शन देना - (१३३९
८७६-त्ह्माजीके समंक्ष मगवान्का हयग्रीवके रूपमे
प्रकट होना - रैशे४६
८७७-मभगवान् विष्णुके द्वारा मघु और कंटमका वध १३४६
८७८-नागराजका गोमतीके तटपर जाकर वहाँ बैठे
हुए ब्राह्मणसे उसके आनेका कारण पूछना
८७९-व्याघका गौतमीके पुत्रकों डसनेवाले सांपको
पकड़कर लाना और गौतमीका उसे छोड
देनेकी आज्ञा देना
८ ०-धर्मका अम्निपुत्र सुद्शनको वरदान देना -
८८ १-कऋचीक मुनिके चिन्तन करनेपर गज्भाके जलसे
एक हजार दयामकर्ण घोड़ोका प्रकट होना
८८२-व्याधके विपैले वाणके प्रभावसे एक महान्
वृक्षका सूखना
८घ८३-सोतेकी भक्तिसे प्रसन्न होकर इन्द्रका सूर्ख
हुए वृक्षको हरा-भरा कर देता
८८४-गीदड और बानरका संवाद
द८्श-सिंद्ध पुरषके द्वारा ब्राह्मणको गद्भाजीका
माहात्म्य चुनाता
१३१५
१३२१
शै३२२
१३५१
१३५३
१३२५७
श्श्श५८
१३५९
१६१६०
१३६३
१२७३
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