श्री उत्तराध्ययन सूत्र का हिंदी अनुवाद | Shri Uttradhyayan Sutra Ka Hindi Anuvaad

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Shri Uttradhyayan Sutra Ka Hindi Anuvaad by सौभाग्यचन्द्र जी महाराज - Saubhagyachandrji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कक. श््‌ का] ! पद्वतिये बाते इस भावृत्ति की उपयातिता में पुव मौटिडहा मेँ 1: बृद्धि करती हैं इसझो भांपा सी इतनी सर दीक्षमी हैड़ि सभी कोई इसे यथरी भासानी से समत सह ई । इस प्रथ में ३६ भ्ष्ययन हैँ जौ पद्र में है और उसमें पमनिषमों का मुग्पता से निरूपण किएा गया है। लिखा रू रूप में सूप्राध्मक निक्षावाइ्य साधुओं में विमिक्षामाद की तरप प्रित करनेदाछ भेरणा “इीक्ष भावपुण कथन तथा सोचपाध्ति में जाम घम शिक्षा, अद्धा तथा सयम रपी छामचतुष्टय की उपयागिता, सच्च कौर शं.ड साधु का धन्तर भादि २ विषय वि द॒ता के साथ निरुफित दिये गय हूं । इसके छिपाय विपय को स्पष्ट पृव सरझ करने के लिये जगह २ छाट २ सुंदर उदाइरण मां दिये गये हैं । चार को उराइरण रंप इंडिनवार ( गादोवान ) का डदाह्रण (भष्य० ६--इछोक ६) तीन प्र्यापारियों का ध्शोत ( भ्रष्य ५ ७-इछोऊ 19-६६ ) भादि छाए २ दृष्टोत झुदन में शऐ्दे हुए दीरे की तरह शगमगा रद ६ । नपिनाथ स्वामी की कपा थ्टां पदिली दी वार कट्टी गई है | इनके लिपाय, सयादों दी यहुसव्या शृध् प्रष की पुड़ शास विशवपता है। ममिमाय का स्वाद हमें घुरू-भंथ सूत्र निपात की 'भरयेक चुरू' की कथा की याद दिपराता हैं। इरिरेश तथा धाइग का सवाद धार्मिक क्रिया ए्ं घार्मिछ यृति क वल्तादऊ ढी तरफ इदारां करता है। पुरोहित भोर उसके पुत्रों का सवाद साधु तीदन की बपथा शृहस्थ जीखम कितने धर्णों में भ्यून है इस बात का प्रतिपादन करता है। यह सवाद मद्दाभारत तथा धीद जात में भी योद से फरफार के साथ “दिखाई देता है, हससे सिद्ध हाता है कि उत्तराध्ययन सूत्र के छुठ घुरामे प्रार्मोर्म से यट्ट सी पृरू है। इस संघ का आत्यों शष्दयन कापिलीए ( धस्कृत-कामिछोयल कषपांद रुपिछ & सग्दस्धी) है भौर आंतिसूरि की रीछा में कश्पपछ कपिक की भी कथा दीगई दै जा # सस्यि दर्शरकार किस के साथ इस कवि छ्य कोर सम्दर्प भरे है।




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