मनु स्क्रिप्ट्स | Manuscripts
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
830
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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बेन | बाल रवि भक्षण, इन्द्र का वच्ध मारना, रुद्र केप हेतना व देवें का शांत
करना, हनुमत के वर देना। बाल समय-में घ्रुव आदि के जाना, आकाश में
उछलना।, ऋषिये का उपद्रव देख बल भूलने का शाप देना व राम क्र मिलने पर
शाप माचन हे।ना, विद्या पठन व वालि सुभ्रोव से मिलना व राम के। सहायता
देना ।
वेश्यनाथावतार-महानंदा वैश्या का वणेन, शिव भक्त हेगना) वैज्यनाथ
महादेव का अवतार हेाना । महानंदा वेश्यनाथ संवाद वणेत, रल कंकण के
लेने को इच्छा करने पर वेश्य 1थ का देना झेर शिव लिंग देना। कक ट का
अश्ि में भस्म हेना जिस पर बेश्या का अपार प्रेम था, वेश्यनाथ-बश्या विद्यार
-बणेन व अन्तथान हेना । बेह्या के शिव पुर देना ।
द्वित्रनाथावतार वणेन--छुप्रताप राजा का वणेन; ऋषभ प्रसाद पाना,
उसको चनद्रागद् रानां से कोतिमालो कन्या को उत्पत्ति, भद्गायुष से
विवाद होना । शिव-शिवा का द्विज रूप में उसके पास जाना ओर बाघ से
रक्षा करने के कद्दना, राजा का वाण चलाना पंर कुछ ग्रसर न देाना।
द्विज को स्री के खा जाना । द्विज का राजा पर क्राध करना; राजा का दुखित
हेशना | वाह्मण से जा चाहे सागने के। क हना, उसका स्त्री मांगना, राजा का
देना, शिव का प्रगट हाना। भद्वायुष के वर देना । पाषेद बनाना ।
पतिनाथ ग्रवतार वणेन--आहुक-आहुको मिल्क मिललनि वणेन | भिवल
के ज्ञाने पर शिव का पति रूप में भिल्लन के पास जाना। वहां ठहरना | घर
छेटा हेने पर भिल्ल का बाहर रहना भ्रार दिसक जंतु द्वारा मारा जाना।
मिल्लनि का सतो देने के लिये चिता रचना; उसका शोतल होना, शिव का
प्रगट हेाना; ओर वर देना व निज हंस रूप से नल दम्यन्तो का संयेशग कराने
को प्रतिज्ञा करना ज्ेकि मिल्ल के अवतार थे ।
कृष्ण दर्शन अवतार वणेन--नभग का ग़ुरुकुल पढ़ना ओर भाइये का दाय
भाग न देना | ज्ञात करने पर पिता के देने का उदलेख करना । पता मनु के पास
नभग का जाना, पिता का शिव आराधना करने के। कहना । आंगिरस के यज्ञ
में जाना व दे खूक्त कम कथन करना, यज्ञ का पूर्ण हाना ओर बहुत धन देना
और शिव का कृष्ण दशंन नाम से उसके पास परोक्षाथे आना । शिव का उस
दृव्य के। अपना बतलाना । देनें का विवाद देना आर उसके पिता मनु के
पंच बनाना । मनु का शिव का माल बतलाना ओर उनको बिनतो क«ने के
कहना । न«ग का प्राथेना कर्ना ओर शिव का उसे राजा बनाना व धन देना |
मिक्षनाथ अवतार वेन--पक विदभ देश में ससरथ राजा का होना ।
शाब्ब राजाओं का उसे रोकना | झुद्ध देना व हारना, उसको गर्भवतों सत्री का
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