इलाज | Ilaj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शम्भूरत्न मिश्र - Shambhu Ratn Mishr
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रकाश की खोम श्ह
और बादर का घवा अधकार ? विमज्ञी को दृजकों यत्तियों के नीचे वह प्रकाश
सैसे कद रहा या-- मैं --झुरे को । में सो तुग्दारे ही अन्दर हूँ ।” ऊ का तिमन्न ने
खिड़की खोल दी ! खूद-खूब बुख़ार चढ़ आया था उसे । भारी प्यास लगी यो, भांचे
उत्तर कर, मम भर कर ठयडा पानी पा जिया था उसने ।
तमी दवा के एक सके से कमरे में जलता दीपक शुरू गया।
गहरा अँधेरा फैल गया था यद्दाँ ॥
कौर निमत्ञ की भाँसों में वह अंधेरा था, जिसमें दो नारियों का शनेद भंपना
मत शरीर गाढ़ गया था !
+ शेश्या जैसे ऑँलों में भाई हो, भौर घद केस !
निर्मल ने पुकारा--रिखा ।”
ध्वनि टकरा कर लौट आई।
जैसे घद पायल हो, चारपाई से उठा, याहर के अन्धकार का जैसे घद्द पता
जगा सेगा आम । भाखििर क्यों यह अंधेरा मन को थेर॑ है ) भौर मौत ? भौत स्पा
है? क्या अँघेरा दी तो मौत बन कर नहीं भाता ?ै
निर्मल दरवाज़ा खोल कर थाहर सड़क पर आ गया था। जो भ्रकांश उसके मन
से रैखा धीन जे गई थी, उसे खोजने पद दौड़ा चला जा रद्दा था । पानी यरस्तने-यरसने
को था । यादक्त खूब बिर भाये थे। घना अघेरां छा गया था--टीक वैसा ही, जैसा
निर्मत्ष के मन में था । उस सघन और गइन बढ़ती हुई अ्रंधियाही में निमक्ष ज्ञि-द्गी
का प्रकाश खोजने निकल पड़ा ! कौन जाने, ढस भरकाश को खोज उसने कर क्षी है
झब तक अथवा नहीं 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...