घोर तपस्वी कर्नाटक गजकेसरी श्री गणेशलालजी म॰ सा॰ का जीवन चारित्र | Ghor Tapasvi Karnatak Gajakesari Shri Ganeshalalji M. S. Ka Jivan Charitr
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
151
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक्कीस
जीवनी यपूर्ण पढनेसे पाठक्नोको भलीभाँती ज्ञात हो जाएगा कि
' जिसमें गुरुदेवके जन्मसे अततक सभी विपयोपर लेखिका महासतिजीने
पूर्ण रूपसे प्रकाश डाला है। किसीभी व्यक्तीका जीवन-चरित्र पढ़ते
समय मन एक्राग्न नही रहता। छेकिन विद्वान लेखिकाने सरल, सुगम
असादगण युक्तत शैलीसे जीवन-चरित्र लिखा है कि पढनेवाला अपन्यास
सरिखा पढतेहि जाता है। उपमा अलकारो के वर्ग र एखादहि पन्ना खाली
जाता होगा । जगह जगह योग्य सस्कृत तथा भग्रेजी कहावते देकर अुस
विपयको अधिक प्रभावित और स्पष्ट किया है, यह लेखिका महा-
सतिजीकी लेक विशेषता है। और यह स्वाभाविक है। जब लेखिकाजीके
गृरुणिजी हि जैसे है तव लेखिका महासतिजी भैंसे क्यो न हो? क्योकि
गुरुणिजीकि सुशिष्या ! हिरोकि खदानमेंसे हिरेहि मिकलेगे। आमके
पेडको स्वादिष्ट आमहि छगेंगे । चद्रसे शीतल किरणेहि निकलेगी । जैसे
वेदनीय महासतिजी गुरुणिजीके अैसीहि सुशिप्या होगी। जैसे विद्वान
भ्रभावी छेल्विकाके हाथसे बसे महापुरुपकी जीवन-कहानी लिखी गयी
जिसके लिये प्राककथन या प्रस्तावना लिखनेके लिये अतनेहि योग्यताका
विद्वान लेखक चाहिए था। में न तो लेखक हैँ और न घमंतत्ववेत्ता !
लेकिन यह जीवनी जिसी ग्राममें पूर्ण छिखी गयी । जिसलिये परू० गुरुणि-
जीने मुझे आदेश दिया कि मे प्रस्तावना लिखूँ । इसिलिये यह लिखनेका
” थेये क्रिया है। मालूम नही जिसमें कितनी तुटियाँ होगी । अतमे -
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इसलिये महापुरुपोके जीवन-चरित्र छिखे जाते हे ।
सेवाल पिपरी (विदर्भ) ! बिनीत,
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