अथर्ववेद संहिता भाषा | Atharvaved Sanhita Bhasha - Bhashya (pratham Khand)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
782
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२)
दी. ऋग्वेद का ज्ञाता होता, यजर्वेद का ज्ञाता
दायर रु स्यग के जाता झद्राता और अ्थवेवेद का ज्ञाता ब्रह्मा चारो है
, गप में संत फर हं सलिये ब्रह्मा सम्बन्धी बह्मवेद या अथवे-
4८
का 4 इस, प्रर
१
के
न +
1 पर चाय का बती उब्दन्त न हो। जिन तेत्तिरीय आदि याजुप शाखा के
अन्त में सान गेट के; उहपना है उनमें ही अथवोप्विराविद ' ब्रह्मा को
धरम फरगे आर उसे पर शो भी स्वीकार किया गया है। जैसे ऐत्तरेय
भें सं के थी लग भगलाये हैं एक वाणी और दूसरा मन । वाणी
कधोग भगी यिद्धा सर काथा यज्ञ और मन से शेप आधा यज्ञ बद्मा द्वारा
समब्धादिंग शोगा 58 । इस» फ्तिरिक्त अथर्व-पेद के मन्त्र, । भी जेमिनीय
पह भ ४ क्ीर्णा रुप ४:४६, साम, यजा, पादव्यवस्था, गान, ओर गय
छपगलथ से ४ उस झक्ृपा बेदता में कोई संदेह नहीं है । जिनको फिर
न साइुए ती उस द दिर्यात फे लिये इतना लिखना पर्याप्त होगा कि चारा
करत ॥ परशारा सा ' रञ प्रजापति से उत्पत्ति हुई है, इसका निदुर्शक
| पद पा सन्भ्र प्रमाण हे---
सबंहुत ऋच: सामानि जज्षिरे
४००7० र₹ तस्नात् यजुस्तस्माद अजायत ॥
क्षृत3 ६4१1 ५ | छत यजु० ३३ | ७ ॥ .अथधवे० १७] ६। १३ ॥|
इसी का अनुवाद करने हारा स्का ब्रह्म-विपयक मन्त्र यह है--
. यस्माइचो5पातक्ष् यजवेस्मादपाकपन ।
सामानि यस्य लोसास्यशर्वारिगस्सों सुखम ।
सकने तें जूरि कम: स्थिढेंव सा ॥ छाणचे० ६०)।७। २६ ॥|
कक ७ 9 १ ७9 तक
डपरोक् दोनों सस्ता से चारों नेदा या चारा -टि खा शपह्त होता है। जब पेद्
कर गा! हैं... जे
फे ही भीतुदु/चारें पाए नास उल्हेख हू तब सबके . प्याख्यार गए आहाख
User Reviews
No Reviews | Add Yours...