तार्किकमोहप्रकाश | Tarkikamohaprakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(नवीन आपस्यंमत प्रसिद्धेध्वर खण्डनम्
अल्रकेचिच्छास्तरसंस्कारशून्या आधुनि
का दयानन्दिनः प्रजल्पन्ति घटादि
कार्यजीवः कतो द्वृए्ः वक्षाईसिघातपवे
शिखरपतनादी वाय्वादीनां कतृत्वं हू
तद्गत्सकलप्रपल्चकतेश्वरे भवितुमहेर्त
ति। तत्तुच्छमू जडस्य कतृत्वाभ्युपगः
लाघवात् मूलप्रकृतेरेव करतृत्वा भ्युप
गसेन।
( दयानन्दमतसिदइंश्वरका खंडन ) इस
आधुनिक ओर शाखतर संस्कार रहित कई ए
दयानन्दी छोगकहतेहे किजेसे घटादि कार्यों
जीव ओर ढक्षेंकि वक्करने और पर्वतशिखरों
पतन आदिसें पवनादि कतो देखे हैं वेसा सकः
प्रपश्चका कत्ता इंश्वर होना चाहिये यह उनव
कनथ तुख्छहे क्योंकियदि पवनादि जड़ पदाः
भी कतो हो सकें तो छाघव से मूलमक्ततिय
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