नरेन्द्र कोहली के रामकथा मूलक उपन्यासों में पैाराणिकता एवम् समकालीन प्रासंगिकता | Narendra Kohli Ke Ramkatha Moolak Upanyason Main

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Book Image : नरेन्द्र कोहली के रामकथा मूलक उपन्यासों में पैाराणिकता एवम् समकालीन प्रासंगिकता  - Narendra Kohli Ke Ramkatha Moolak Upanyason Main

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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का पल्लवन करके वैदिक अभिप्रेत को पुराणों में बोध गम्य रूप से प्रस्तुत किया गया है। इसलिए वेदार्थबोध के लिए पुराणों की महती उपादेयता है- इतिहास पुराणाम्यां वेंद समुचवृहंयेत | _ विमेत्यल्प श्रुताद्‌ वेदी मामय प्रतरिष्यति | | आर्य मनीषा ने वेदों को सदैव अत्युच्य सम्मान और महत्व प्रदान किया है। यहाँ तक कि वेदों के अर्थ को स्वतन्त्र रूप में निरुपति करने पर भी प्रतिबन्ध हैं | वेदार्थ को हृदयाड.ग करने के लिए पुराणों को... माध्यम बनाना चाहिये | यो विद्याच्चतुरो वेदान साड. पनिषदो द्विज: |. न चेत्पुराणं स विद्यान्नैव स स्याद विचक्षण: | । ही नारद पुराण मे तो वेदार्थ की तुलना में पुराणार्थ को अधिक महत्व दिया गया है। कदाचित सामान्य व्यक्ति के लिए वेदार्थ दुबाहय तथा सरल कथात्मकता के कारण पुराणार्ध सुगम कान कर वेदार्थ की अपेक्षा पुराणार्थ को अधिक महत्व दिया गया है- 'वेदार्थादधिक॑ मनये, पुराणार्थ वरानने . वेदा: प्रतिष्ठिता: सर्वे पुराणे नात्र संज्ञम: || . पुराण के पांच लक्षण विविध पुराणों विशेषकर वायु, ब्रह्माण्य ः विष्णु, वामन, कूर्मादि पुराणों में प्राप्त होते हैं | किरफल की कृति *डास दि ः




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