तत्त्वसार | Tattvasar

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Tattvasar by हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री - Heeralal Siddhantashastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रकाशकीय निवेदन श्री सत्शुत-सेवा-साधना केन्द्र, अहमदाबादकी ओरसे यह 'त्त्वसार' ग्रन्थ प्रकाशित करके अभ्यासी और स्वाध्यायप्रेमी मुमुक्षुओकी सेवामे प्रस्तुत करते हुए हम प्रसन्‍्नताका अनुभव करते है। हिन्दी भाषामे इस सस्थाकी ओरसे यह प्रथम प्रकाशन है, इसलिये हिन्दीभाषी समाजको सस्थाका सक्षिप्त परिचय देना आवश्यक समझते है । सस्थाका परिचय और उद्देश्य भगवान्‌ महावीरके उदार और अनेकान्तयुकत उपदेशको उनके बाद अनेक आचार्योने और साधु-सन्‍्तोने अपनी-अपनी पद्धतिसे लिपिबद्ध किया और आजतक उस निर्मल परमपावनी ज्ञान- गगासे डुबकी रूगाकर अनेकोने अपने जीवनको उन्नत और समृद्ध बनाया। गत झताब्दीमे, परदिचिम भारतमे अपने विशिष्ट ज्ञान और साधनामय जीवनसे श्रीमद्‌॒राजचन्द्रजीने एक जाध्या- त्मिक वायुमण्डलका निर्माण किया, जिसके फलस्वरूप महात्मा गाधीने सत्य और अहिंसाके सिद्धान्तकों अपने जीवनमे अग्निम स्थान दिया। श्रीमद्जीने अनन्य शिष्य श्री लघुराजस्वामीसे प्रभावित ब्र० श्री सीतलप्रसादजोने जेनशासनकी अनेकविध सेवा की और अनेक ग्रन्थोके साथ सहज सुख-साधन' ग्रन्थका निर्माण भी किया। श्रीमदु राजचन्द्र द्वारा सस्थापित 'परमश्वुत- प्रभावक मण्डल'ने जैनाचार्योके अनेक उत्तम ग्रन्थोको प्रकाशित करके जेन साहित्य और भारतीय वाडमयकी विशिष्ट सेवा की और अब भी वह कार्य श्रीमद्‌ राजचन्द्र आश्रम, अगासकी ओरसे चल ही रहा है। श्रीमद्‌ राजचन्द्रजीकी विशाल, बिनसाम्प्रदायिक विशिष्ट अनुभवपूत आध्यात्मिक दृष्टिसे प्रेरणा लेकर अहमदाबादमे सन्‌ १९७५ मे इस सस्थाका शुभारम्भ हुआ, जिसके मुख्य प्रयोजक डॉ० मुकुन्द सोनेजी है। अबतक सस्थाकी ओरसे आठ पुस्तकोका प्रकाशन हुआ है जो सभी गुजराती भाषामे है, जिनके नाम अन्यत्र दिये गये है। आध्यात्मिक दृष्टिको मुख्य रखते हुए तत्त्वज्ञान, साधनापथ, इतिहास, योगसावना, भक्ति- सा्गे, नीतिशास्त्र, सिद्धान्तशास्त्र आदि भारतीय सस्कृत्तिक अगभूत विविध विषयोपर लिखे गये प्राचीन और अर्वाचीन साहित्यको प्रगट करना सस्थाका मुख्य उद्देश्य है। समाजको उन्‍नतिकी ओर ले जानेवाले हर प्रकारके सस्कारपुूर्ण साहित्यको पुस्तकालयोके माध्यमसे समाजकी सेवामे रखना, और युवावगंकी रुचि सत्साहित्यकी ओर बढे ऐसी व्यवस्था करना भी सस्थाका एक उद्देश्य रहा है, जिसके भागरूप एक पुस्तकालयकी स्थापना अहमदाबादमे की गई है । इसके अतिरिक्‍त स्वाध्याय-शिविरो, प्रवचनमालाओ और तीर्थयात्राओका आयोजन करके समाजमे आध्यात्मिक सस्कारोका निर्माण करना, यह भी एक खास प्रयोजन सस्थाने अपने सामने रवखा है। जिसमे अभी तक ६ बडी यात्राओका आयोजन किया गया, जिसका छाभ एक हजारसे अधिक यात्रियोने लिया है। यात्राके दौरान भारतके सभी मुख्य जेन तीर्थोकी वन्दनाका छाभ मुमुक्षुओको मिला है। अभीतकके शिविरोका आयोजन गुजरात तक सीमित रहा है, परन्तु स्वाध्याय-सत्सयकी आराधना गुजरातसे बाहर वम्बई, कलकत्ता, कुम्भोज-बाहुबली, मद्रास,




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