सम्राट के आँसू | Samrat Ke Aansoo
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ हुऑट केआँम/ 25
बुझाने वाले सम्राट**'खून की गंगा बहाने की क्षमता रखने वारलें भशल्ली सैजो पिन
कौर चाँद-सित्तारों पर अपने अधिकार का दिवास्वप्न देखने वाले सै जरा झुक,
आँखों में विराजमान गम्भी रता निश्चय ही किसी आने वाले भयानक“सुफान - के]
चोतक है ।
अशोक : (कानों पर हाथ रखते हुए) बस करो “बस करो * तुम लोगो का विचार
सही है**“मेरे जीवन में भयानक तूफान प्रवेश कर चुका है मित्रा, जिसके थपेड़ों ने
मेरे दिलो-दिमाग की चूलों को हिलाकर रख दिया है।
असस्धिमित्रा : आखिर ऐसा कौन-सा तूफान है, जिसके कारण *।
अशोक : मित्रा, मैं आज अपने जीवन की सबसे वडी हार का मुंह देखकर पश्चाताप की
अग्नि मे जल रहा हूँ।
असन्धिमित्रा : (आइचर्य से) हार'*“यह आप क्या कह रहे है ?
अशोक : मैं सच कह रहा हूँ मित्रा' “करलिंग युद्ध ने जो करारी मात मुझे दी है, उसने
भरे अन्तर्मंत को झिझोर कर रख दिया है**'।
असन्धिमित्रा : लेकिन हमें मिली सूचना के अनुसार तो हमारी सेना ने कलिंग पर विजय
प्राप्त करके आपके नाम की पताका फहरा दी है और वहाँ का नरेश रणभूमि
छोडकर भाग निकला है।
-तिष्यरक्षिता : यही नहीं बहाँ एक लाख से अधिक व्यक्तियों का कत्ल किया गया एवं
डेंढ-दो लाख व्यक्ति गिरफ्तार हुए है! मुझे मिली सूचना के अनुसार तो लायों
व्यक्ति इस युद्ध में घायल हो गए हैं जो जीवन-मृत्यु के बीच संघप कर रहे हैं।
अशोक : तुम लोगों को प्राप्त सूचनाएँ यद्यपि सही है, तथापि इस युद्ध में मुझे सबसे
बड़ी हार का मुह देखना पडा है|
असन्धिमित्रा : हार'*'हार'*“हार**“समश्ष में नहीं आता कि आप किस हार की वात
कर रहे हैं।
अशोक : यदि तुम जानना चाहती हो तो सुनो **'करलिंग के योद्धाओं ने जहाँ देश की रक्षा
करते हुए अपनी बलि दी वही वहाँ के साधारण नागरिक, यहाँ तक कि अल्पायु
के बच्चे भी देश-रक्षा का दायित्व अपने ऊपर लेकर शहीद हो गए''“जहाँ तक
भूगेल्द के भागने की वात है'““वह हमारे सैनिकों की आँख मे घूल झोंककर
राजमहल में पहुंच गया जहां उसने आत्महत्या कर ली। यही नही भृगेन्द्र की
स्वप्नसुन्दरी रानी पदुमिनी ने, जिसे मैं पाना चाहता था, मेरे सामने ही मुझे
चुनौती देते हुए अपने आपको जलती चिता में झोक दिया 1
“तिष्यरक्षिता : ओह '*'तो रानी पद्मावती का प्यार राजा की ले डूवा'**।
>असन्धिमित्रा : लेकिन राजन् इसमें तो कोई विशेष वात नही हुई-““यह तो युद्ध है और
युद्ध मे खून की नदियाँ वहती ही है । इतिहास गवाह है कि कोई भी युद्ध बिना
रक्त बहाए समाप्त नहीं हुआ है ॥ मेरे विचार से तो रणभूमि की रक्तपिपासा की
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