लद्दाख यात्रा की डायरी | Laddakh Yatra Ki Dayari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.96 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तैयारी श्ौर प्रस्थान लिए पुर्व ही से सूचना थी तथा युरोपियन यात्रियों को सबसे पहले बिंन किसी जॉँच-पडताल के जाने दिया गया । 2 जम्मू काफी ग्स स्थाव है। यहाँ से मीलों पहाड प्रायः छोटी छोटी भाडियो से ढके थे और सूखे मालूम होते थे परतु कूद जो जम्मू से ६६ मील है पहुँचने पर चीड के वृक्ष मिलने लगे श्रौर ठडक हो गई। सध्या हो चली थी । कुद ५५४०० फुट की ऊँचाई पर है । भ्रँवेरा होते- होते कूद से १० मील चलकर बटोत के डाक बँगले मे जाकर ठहरे । यहाँ का बँगला वहुत भ्रच्छा है तथा खाने-पीने का समुचित प्रबन्ध है । बटोत ५१०० फुट की ऊंचाई पर है । सोमवार २६ जून रात को ठडक अच्छी होने के कारण सुभे तो खुब नीद शझ्राई परन्तु दाऊसाहब को रातभर बुखार रहा । सबेरे चाय पीकर झागे बढ़े । मोटर के चलते ही हृद्य अच्छे नजर आने लगे । यहा से ठीक रामवन तक जो चिनाव के किनारे बसा है उतार है श्रौर साथ ही पहाड़ों श्र नदी का हृद्य मनोरम है । आगे बनिहाल गॉव झ्राया । यहाँ थोडी देर रुककर श्रागे चले । बनिंहाल से कुछ ही फासले से चढाई प्रारम्भ होती है जो कई मील चढने के बाद वनिहाल की पीरपचाल सुरग पर पहुँचती है। यह सुरग लगभग ६००० फुट की ऊँचाई पर है। जब हृदय भ्च्छे श्राने लगे और कही-कहीं चकोर दिखाई दिये तो तबीयत खुद हो गई। झभी- तक कह्टी-कहीं बर्फ गला भी नही था । सुरग के पास पहुँचते-पहुँचते काफी जाडा लगने लगा यहाँतक कि हमे कम्बलो की शरण लेनी पडी । सुरग के सुहाने पर फौजी गारद लगा था । ड्राइवर ने यहाँ गाडी रोक दी श्र कहा कि उतर कर थोड़ा हश्य देख लीजिये । तबतक चढाई से गम हुआ गाडी का इजन भी ठडा हो जायगा । सुरग ६६० फुट लम्बी है । सुरग पार कर ड्राइवर ने पुन गाडी रोकी श्र कहा कि काइमीर के हश्य भी देख लीजिये । प्रात काल का समय था इससे साफ दिखाई १. अब तो बनिहाल की बस्ती के पास से एक श्रौर सुरंग तैयार हो रही है जिसके तंयार होने पर श्रीनगर का रास्ता बारहो महीने चालू रहेगा।
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