अध्यात्मरामायणसंस्कृत | Adhyatmaramayanasanskrit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
53 MB
कुल पष्ठ :
580
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about उमादत्त त्रिपाठी - Umadatt Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भगवद्गीवानवलमाज्यका बिज्ञापनपत्र-॥
प्रकठहों कि यह पृध्चक शीमद्धगवद्मीता: सकल मिगस प्राण हृल्ुति
हे जा 2 ०
सांख्यादि सारभतपरसरहस्य गीताशास्य लबेविद्याँ वन लॉगील्यविनंयों- .-
दाय्थद सत्यलगर शाच्या।द सम्पन्न चरावजार सहासुभान अज्नका पफंग्स
िितक पता न्यप काए मी स्ल रन + 24:05 न
आधकारा जानक हृबयजानद साहदचाफाय लबद कलर अपहहल खछ चर्ताह दा
कराया ने पता मय 3 मन पक मदर -
भगवद्भाक्रसागे टद्राटयाचर करायतर तू बहा उसे खर्ादबूपरत्ता बजबवतद दहान्त
मल अरसा 4 आला शत आग कक वपए क
गश्माद्याग्तत्घतद 1जरस्का चच्छ ६ हाहावतदा अपर वाइल परजलहर था-
सियाद न मन ये + पक या त आए हल तह मय के
सक्त तब ऋनदलंडा लचका के कंस इशकाइइहर पहन पटलन केस सका छा-
! 2 उबर पक पट प्रायको चमक | कम ३ न मम कह
सत्थ्ये हे. वहकव इसकी अन्तरामपभ्रायका जीनसकफिेहेलशीर अह भसन््वक्ह 8
कि सशेशा फिट उपर सो यश क समा
कवि जबलक ला पच्तक आधुना रु कसा चच्लका आंन्तराचख्पार अपदूडपएंक रंड
ह
बने पट कमल सिर. नकल रू कए दी या 2
बुद्धिमें न वासितेही तंवतक नर इकाकर मिले इसप्रकार सल्पुर्ण भारत:
; हि जनीके है. पका, दस >>
नियालसी आस्र्द््मत्रदसु दास शखसिकजनांके चतानन्दाध व बाद वाया4 सतत
3 यह७ 2 हु, हो - कि हर का
पन््लधुरीण सकख -करल्ांचालुशीण सवधविद्याविल्यासी सगवद्धकचनुरागी: की -
४ /.-पक सा व सा न - यु + र्प ट्स्ग्व
आल आशा वचस्त किंशारज 1 हे पृ ्त्य ई झ५ छ्् है र्य्ज बह तद्धधक्न द्य्च हर न वाद्ष्दु
| |; चर है भ्ग्र्
निवासि परिड्त उप्मादंत जीसे
6
ई
>६1
है
ट््] >
41
41]
रण
५!
४01»
कप
का कं
छः
व
: 21:
पु
जि,
झा
० पी
' व्यसे- पथ न ना मल बह अल
जयाद चचसभाष्य आाख्यरस- नचकाहकालक- कस सरल अफाल्खत छूट.
अल कद दी “पक नल 3, न सह अं हज अ
वियाहे कू ॥_ज्संका आापाह्ाइज् जाजनेदाहदर् ह पुस्द् ज्ञाल सक्तह |]
घ्ह्ा हपछा सदर कय लः रे संठीकक रा लिहला है इ 52) ४ का ह
स्घरर ् 1७ श्प्पा ध् या 4 हु
डा आर हिल हि के वी मा क् जी ला ग ः
.... रहत लॉगाकी उादेतह कि प्रंधस जल लत छोटे श२चविद्यार्यों उत्तक
- कक ह्
- अल पह़नेका आये उनकी अत्यन्त साइरल अएनले पुञ्रक्े लगाव सं *्कुंश
न री ्ख डर हर कक ् ह ;
पं
:>च् ले उनकों शकारशा।हि सवब्यरों आए ककाराति वे उयेजतों -
“अहर्त:लाड़ प्यारत उनका अकाराद सघव्दरा आर ककाराीई खंबे प्यज्भनर -
(| कक लत की मत आप नल पक कि लजंल रा शत लत
- हो पहहचनदाव खसखखाय पएकाए आर संखुललय छाठ खात्चकाड खचका
8 52 क्िण छ 26 61 नियम ताज ढ ले पी
सम्नय योग्यसमर्दं पोड़ हर राय छोंट्ट।ली दया कर उलल बालक हे -
2 1 3 2 बिल न नए पक मद की न झ््कों हे
चन्ढलें पढ़ें इेसअडारल बहू तश्ात् दस साहडइई फंशदुव पके जिसछ बाकूक.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...