आत्मकान्तिप्रकाश | Aatm Kanti Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पंचतीर्थपूजा ।
मन शुद्ध साफ कर अपनो गात-जिन० अंचली ॥
सीथंकी महिसा सेरे सन भाई, देख देख मनुवा हुझुसाई ।
किये जात करसनको घात-जिन० १३
भूत्ति प्रभुकी रसीली दशा चारी, चौद राज ऊपर आधारी।
घले जात भवि दिनन रात-जिन० शत
कुमारपाल सुंदर जिनमंदर, मूलनायक शॉतिजिन अंदर।
घन नर नार जो करत जाव-जिन० ॥ ३ ॥
पदधी अचऊ अचरूगढ पावे, आतम रक्ष्मी अति हर्पावे ।
चलभ ए जिनमतकी बात-जिन० १॥
(४ ) उल्नय॑तत्तीयपूजा ।
दोदरा ।
उजायंत गिरनार है, रेवतकाचल नाम ।
नेमिनाथ भगवानका, धाम परमपद्धाम ॥ १॥
(पीछ--नरवा-ताऊ केहरवा, नाथ निज नगर देखाढोरे 19)
नाथ गिरनारके पूजोरे । सरण है अनाथ--
करो तुम साथ नाथ गिरनारके पूजोरे | अंचली ॥
दीक्षा केबठ मोक्ष ए तीनो, कल्याणक जिन कहियेरे ।
तीर्थंकर श्रीनेमिनाथ, वत्तमान सिमरियेरे-सरण० १ ॥
आठ नमीख्र आदि जिनवर, गत चोवीसी भजियेरे ।
भव्य अनेक गिरिसेवासे, शिवपुर सजियेरे-सरण० २॥
सूत्ति रखमयी प्रभुनेमि, इंद्र पाससे रूडयेरे ।
पैत्य चनावी विधिसे भरते, स्थापन करियेरें-सरण० र॥
चलभी भंगे शक्त भादेशे, काति अंबिका हस्यिरे 1
पंचम आरा अंते सुरपति, रा घरियेरें-सरण० ४॥|
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