करन्सी | Currency
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
आवश्यक स्वरूप यह है कि उसका प्रचलन हो सके, एक के
पास से दूसरे के पास जा सके | जब कोई मनुष्य कोई वस्तु अपने
पास से जुदा फरना चाहता है तो, जब उसे घिननिमय में उस
से अधिक मूल्य की वस्तु प्राप्त हो जाती है तब कहीं बह उससे
कम मूल्य की वस्तु देता हैं ।
हमे यह स्मरण रखना चाहिये कि जब तक आधुनिक
बैं/कंग की प्रणालियों का बिफास नहीं हुआथा तब तक लोग लोहे
की सदूओं मे सिक्के इकट्ठे करके रखते थे आर इसके लिये वे
सबसे नये और भारी वजन के भ्िक्के छाट कर रखते थ | अब
जब कि विज्ञान का प्रच.र हो गया है वहुत से मनुष्य जब कि उन
के पास कोई सिक्का आताहे तो, यद्यपि वे उनसे कोई लाभ
नहीं उठाते, तथापि उनकी यही लालसा रहती ह कि उन्हें वही
सिक्का मिले जो हाल ही मे टक साल से बनकर आया हो | उन
दिनों में जन कि तिक््कों की दशा अतिशय प्रिचार्णय थी और
जब कि हलके सिक्कों का मिलना उसके पाने वाले को हानिकर
था, लोगों मे इस प्रकार के प्रिचार बहुतायत से थे । फिर सराफ
आदि जो सिक्कीं या इंटो को बाहर भेजते थ उन्हें तिक््कों की
कर्म को पूरा करना पडता था क्योंकि अतराष्टीय व्यापार में
मिक््के संदेय तोलकर भेजे आते हैं नकि गिनकर | त॑सरी बात
वोसे बाजी की थी, जबकि बहुत थेडा अयसर पर्क्ष। के लिये
दिया जाता था, थोडा सा मुनाफा अपने लिये लेकर उ्ये लिक्के
प्रचलन के मिक्कों ऊे मूल्य के बरायर कर दिये जाने थे । यही
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