श्रीमथुरेश महोत्सव पद संग्रह | Shrimathuresh Mahotsav Pad Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १९ )
जलारू क्या है कि कहिये उसे सरापा नर 1
उसीके नूर का दुनिया में है ये सारा जृहूर ॥
' वोही जीवों. की. जीवन' अधांर ॥ लहेती० नाशा
जडाऊ पालने ।'में मा उसे झुलाती है ।
वो मंद मद; कंभी, प्यारी सुसक्रात्ती है
- जिधर को हंस के वो प्यारी:,नजर उठाती: हैं ।
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बनाके ?दासीं “हिये की' “की ... खिंलाती है. ॥
/ किया “मथुरा ने/विल'की निसार ॥+डिंत्री० ॥ीश॥
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आइ बदरियां कर्जारयां रीमुइ॒यां इसकेवजनपर ।
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(८) छाई नगारिया सुधरियां बयां ॥
१--सज़ी बुषभान की नगरी , है उमगी सुन्दरी सगरी ।
मठकती नाचती गाती , चली महलों में इतराती ॥
वोलें दिखादी दुल्शारियां- बधेयाँ ॥ छाइ० ॥
२-- खा जब लाडिली छब कौ ,हुई बस मर्च्छा सब कौ ।
वो बाली. होगा में आके , ये: बानी उठके घबराके ॥
छागे न याकी ,नजरियागुशग्रा॥ छाइ०, ॥
२-:गगनसे हैं समन, बरसे, मगन नर डेंवंगण, दरसे ।
४
ये श्यामा:आदि कारन है 2 यही जिज बन बिहारन है।॥
॥ । मथुरा उमा कीये/दस्थिहै:गुइयां जो. छोड,
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