हिन्दी विपूवकोश भाग - 11 | Hindi Vipuvakosh Bhag - 11
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
842
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)द्विनवाहन--द्वितीया' २६
इिलवाइन (सा पु ) दिल; गरुंडवाइन' यस्य। नारा- | दुग्साध्य1 ६ रोगविशेष, एक रोग॥( ब्रि० ) ७ दिजिश्लाः
यण, विष्णु । । विशिष्ट, जिसे दो जोमे हो ।'
दिजत्ण ( स'० यु० ) दिजस्य दन्तस्य ब्रणः। दन्तावु द, | दिजिन्द्र (स* पु० ) द्विज इन्द्र इव उपमित सम्तास 1
दातका एक्क रोग |
दिज़्शप्त ( स० पु० ) दिजें: शप्त; ३-तत्।
बर्बब ट, भटवॉस । ब्राह्मण इसे नहीं खाते।
पिजय्रेष्ट (म* पु०) छिजैपु खेछः ७न्तत्। ब्राह्मगयष्ठ ।
इिजस्ेवक्त | स*० पु० ) दिजञानां बेवकः ६-तत्। ९१ शाद्र ।
( व्रि० ) २ दिजसेविमात, द्विजोंको सेवा करनेवाला।
दिलमप्तम ( स'० परु० ) दिजेपु सत्तमः | दिजये प्ठ ।
हदिजस्नो हु ( स'* पु० ) पलाशध्क्त, ठाकका पेड़
द्विज्ञा (म'० स्वो० ) दि्लायते जन-छ, टाप.। १ रेणुका
नामक गस्धद्रव्य, सभाल,का बोज। इसका पर्योय--
श्णुका, राजपुत्री, नन्दिनों, कपिला, दिला, भरमगन्धा,
पाए्ड पतो, कौन्तो चोर हरेणकाए्ः है । २ भार्गों, भागड़ी ।
३ पालड, पालकका गाक ! यह एक बार काटे जाने
पर फिर होता है, इसोसे इसका नाम द्विजा पड़ा है।
स्त्रियां टाप.। ४ दिजपत्री, ब्राष्मण या दिजको स्त्री ।
दिज्ञाग्रज ( स*० पु० ) ब्राह्मण ।
दिज्ञाग्र ( स० पु० ) दिजषु अग्रः | थिप्र, ब्राह्मण ।
दिज्ञाडिका ( स'० स्तो० ) कटू,को, कुटकी ।
पिजाडइने (स'० मु०) द्विजम्य पच्िणी5क्षमिव भइ/ यय्या,
डौपव, « कदु का, कुटकी ।
दिज्ञाति(स'० पु०) दे जातो यस्य | १ ब्राह्मण । २ ब्राह्मण,
चत्रिय और वे श्य 1 १ भग्डज । ४ दन््त, दाँत । ५ पच्ची ।
हदिजातिसमुख्य (स० पु० ) दिज्लातिषु सुख्यः। ब्राह्मण-
आछ 1
दिज्ञानि ( स* यु० ) इिजाया यस्य, बहुत्रोही जायायाः
जादेश:। द्विभाय क) वह पुदप जिसके दो स्वियां हों।
दिक्षायनो ( स'० स्त्रो० ) दिजः अय्यते' ज्ञायतेनयेति भ्रय
करण छ्युट. | स्थियाँ डोप, । यत्चोपयोत 1
हदिज्ञालय ( स० घु० ) द्िजानां पचिषां भालयः | १ तद-
'कोटर, पेड़की खोखनो जअगड जिसमें चिड़ियां अपना
घॉमला बनाते है। २ ब्राह्मणों का घर। »
हिजिज् ( म्र* पु०) दो जिश्चे यस्य1- ३ सो, साँप) २
सूचक, चुगलखोर । ३ खल, दुष्ट। ४ चौर, चोर 1 ५
एठ, हे. &
गाजमापष,
१ दिजय छ, ब्राह्मण । द्िजानां इन्द्रः द-तत् । २ चन्द्रमा 1
३ कपूर, कपूर। पतक्चीन्द्र, गयड़ ।
छिजेन्द्रक ( स'० पु० ) निम्ब_हच, नोबूका पेढ़। '*
दिजेश ( स'० घु० ) द्विजानां दैशः ६-तत_। १ गयंड। २
चन्द्रमा । ३ कपूर । 8 दिजेग्वर, ब्राष्मण 1
दिज्नोत्तम ( सं पु० ) दिजेपु उत्तम: | ब्राह्मण )
द्विजोपाछक ( स' पु० ) छिजमुपास्ते उप-भरास-युल, |
दिजसेवक, शाद्र ।
हिटसवा (स'० स्थ्रो० द्विपो सेवा। शत्र् को सेवा ।
दिटसेवो (स'० व्ि०) दिट सेवा विद्यतेडस्थ इति। राज
श्र सेवो। णो राजाजे भत्रसे पिला हो या मित्रता
रखता हो। मतने ऐसे मतुयका द'ड बध लिणा है व
द्विठ (स'० पु० ) हो ठऊागे लेखनाकारों यस्य। १
-ब्विमग 1 २ चह्निजाय्रा, खाह़ा । ( क्वो० ) १ दो ठकार !
दित ( म'० पु० ) १ देवभेद, एक देवताका नाम्र।२
ऋषिमेद, एक ऋषिओा नाम । इनके सोन भाईये,
एकत, द्वित घोर व्ित । +
द्ितय ( स'० क्लो* ) हे भ्रवयवों यस्य दि प्रवधषें तयप, 1
१ इय, दोकी संख्या । (व्रि०) २ छिल्स ख्याविधिष्ट,
जो दोसे मिल कर बना हो | ३ दोहरा । 4०४
दितीय ( स'० त्रि० ) इयोः पूरण' द्वि-तोय ( द्ेस्तीयः ।
पा ४४२५४ ) १ इय, दूसरा। (मु) २ पुत्र, वेटा।
भाग्मा हो पुत्र रुपटे जम्ग्रहण करती है, इसरोसे
द्वताय मब्दक्ा अ्थ पुत्र इग्मा है ।
दितीयक ( स'० फ्लो० ) द्वितोयेन रूपेण ग्रहण कन् | १
च॑ बादिवे द्वितोयदप दाग ग्रह |. प्वितोयेडक्ि सवः
कन् 1 २ दिताय दिनम्रव रोग, वद्द रोग जो प्रत्येक
ढूमरे दिन होता हो। ( ब्रि० ) ३ इ५, दूसरा ।
द्वितोयव्विफला ' (स*० स्को० ' छितोया धिफला। गाश्मारों,
एक बड़ा पेड़ |
द्ितीया (स'० खो) दितोय-टाप_॥ १ गैडिनो, स्तो 1२
तिथिविश्षेष, प्रत्येक पश्चकी दूसरों तिधि, दूज़॥ भखिनों-
कुमारका जन्म दितोया तिधिमें इतना था, इम्रेसे यह
ऑल
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