कृतांत | Kritant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
90
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के चगुल से छुडाय । बया वया श्राप लोग इस काम में हमारा साथ देने
के लिये तैयार हैं?”
विमल का इतना कहना था वि उस उमरे मे उपस्थित सभी लड़के
जोश-सराश के साथ बुतल्द प्रावाजा मे चिल्लाने लगेथे हा चवो। हम
सब तैयार हैं।
देखते ही देखते पचास साठ लडफो का समूह झपनी वक्षा से निकल
कर चल पड़ा । उस ओर, जहा उनकी प्रिय टोचर विसी बहलिये के शिक्जे
में फस कर यातना व सैलाब मे डूब उतरा रही थी। उन, इन्सान वे रूप म
छिपे भेडियो को सबक सिखाने, जो चादी के चन्द टुक्डो के लिये कसी भी
दूपरे इन्सान के प्राण लेने मं भी नही हिचक्चाते | विद्यालय परिसर मेसे
पुजरते जो जो छात्र राह मे मिले, वे उस समूह मे शामित्र होते गये ।
होते गये ।
लडकी के विशाल भुण्ड के साथ रूपा वे- घर पहु चक्र जब विमल
जोश-खरोश बे साथ दस्तक दी, तो दरवाजा पुन उसी शौरत मे खोला ।
विमल प्रौर मनीष उस औरत से वोई बात किये बिना कमरे में समा गये भर
अन्दर के बरामदे मे से होते हुये सीढियो पर चढ गय। वह प्रौढा हतप्रभ सी, ये
> व नजारा देखतो रही । इसी के साथ लडको की ऋद्ध भीड ने उस महिला
अत पर पहु चक्र विमत और मनीप ने जो हृदयविदारक दृश्य देखा,
तो उनकी श्रासें साश्र हो उठो थी ।
उन सोगो ने फुर्ती
भौर उसके जिस्म पर बधी
स्थाह पड़ गया था,
से रूपा के मु ह मे ढूसा गया कपडा निकाला
रस्सिया खोल डावी । घूप से उसका शरीर न
अपितु सावन ऋुतसने से कही कही फफोले भी पड
गये थे। बन्धन मुक्त होते हो रूपा ने फफरः फफक्वर रोते हुय उन दोनो को
भ्पनी बाहों मे भर जिया । उसका कष्ठ अवरूद्ध हो रहा था इस लिये वह
ि भी न वोल सकी ! थे दोनो सहारा देकर
“डाल हुई जा रही रूपा को नीचे लेकर आये तो रूपा ने रसोई की तरफ
बहेलिया/25
जय
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