राजनीतिक विचारधाराएँ | Rajnitik Vichar Dharaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
457
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समाजवाद | 171
लिए समागवाद राज्य वे वाय सत्र ता विस्तार चाहता हे । उतनी धारणा है कि
राज्य वानूनो द्वारा विशास से सहयाग दे साता हे । नाधुतितर श्रवारा त्रक समाज
वादी राज्य मे राज्य वा बाय क्षेत्र जत्यधिवा विस्वूंत है। साज ब्यवित वेवरा बाह्य
सुरक्षा या आतरिव व्यवस्था त लिए ही राग्य पर विभर नही वरता वल्वि जीवन
कौ प्रत्यक आवश्यकता के जिए--भाजनसिक्षा, स्तरास्थ्य, चिक्त्सा, पानी, विद्युत,
ग्रेंस, मिवास, रोजगार आदि--राज्य पर निमर करता है 1
समाजवाद के गुण
(81६73 ण॑ $2087जग)
समाजवाद, में निम्न गुण पाय जाने है--
1 यह सामा-य वल्याण पर आधारित विचारधारः है
समाजवाद वा सयसे यत्य गुण यह है कि यह सामाय क्ब्याण पर आधारित
बाद है । यह कसी वय के विश्येप हिता वी सुरक्षा नहीं ऊरता वलिकि समाज वे सभी
वर्गों वे हितों की सुरक्षा करता है। यह विवता और दुबला के जिए सहानुभूति बी
भावना जाग्रत बरता है सताएं हुना व तिय प्याव वी माँग करता है, सोय हुए एव
अनाधित सोगा के' लिए उत्तरटायित्व तो स्वीकार बरता है, सामाजिव सेवा और
सावजनिक सहायता के लिए अपील करता है ।
2. महू व्यहित को विकास के साधन उपलब्ध बाराता है
समाजवाद ऐसी सामाजिव व्यवस्था है जिसम किसी का शोयपण नही हाता ।
इस व्यवस्था मे सबको विषास के पयाप्त अवसर प्राप्त शांत है । यह सतत्री स्ववनत्रता
को सुरक्षित रखता है तथा समता वनाय रगता है) उस व्यवस्था म प्रयेत्र व्यक्षि
के व्यवितत्व का महत्त्व जौर पौरव समया जाना है ।
3 इसने पूजीवाद को बुराइया का अत किया है
समाजवादी व्यवस्था पूजीचादी व्यवस्वा वी बुराइया-शोपण, अयाय,
अममाउता-या ज वे करदेती है । यह “पवस्था घने का वे द्वीयत रण नहीं होते देती 1
इस व्यवस्था में उद्योगो से प्राप्त लासा को धामा-य सेवाजो में खायू किया जाता है।
इसम आय की गम्भीर भिन्नताय पही होती । सल्ेष में, इस व्यवस्था में पूजीवाद के
दोपा वा दूर करन वा प्रयास किया जाता है त्तवा सम्पत्ति वार अधिवा से अधिक
साम्यिव' वितरण ((वृष्राशक्णांट 0507 0४0०४) किया जाता है |
4. इसने निभी पूजी का उम्ूलव कर सावजविक रल्याण मे दृद्धि की है
समाजवाद निजी पूजी वा उमूता कर समाज को उससे उत्ायव दान बाली
बुशइया से बचाता है । यह उत्पादन व मुरय साथनों पर सावजनिक स्वामित्व चाहता
है। भूमि जोर खाना वा सामाजावरण कर यह उनसे होने वाले लाम को सामान्य
क्त्पाण में सच करता है ।
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