हिन्दुस्तान की पुरानी सभ्यता | Hindustan Ki Purani Sabhyta

Hindustan Ki Purani Sabhyta  by बेनी प्रसाद - Beni Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बेनी प्रसाद - Beni Prasad

Add Infomation AboutBeni Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
७ ) चंक ने इकट्ठा करके प्रकाशित किया था । इनका झंत्रेजी झ्नुवाद जे० डब्ल्यू मेकूक्तिड्ल ने किया है। इन लेखों का उपयेग करते समय यह्द याद रखना ज़रूरी है कि भाषा झऔर रीति रिवाज से अनभिन्ञ दोने के कारण विदेशी यात्री झभी २ घोखा खा जाते हैं । दूखरे, दमारे पास तक जो वचन पहुँच पाये हैं. उनमें शायद बीच च्हे सेखको ने, जो हिंस्दुरुतान से बिद्कुल अपरिखित थे, कुछ नमक मिच॑ लगा दिया है। पाँचवीं झर सातवी ई० सदी के दाल के लिये चीनी याज्री बड़े काम के हैं जो बुद्॒ भगवान के चीनी जीवनक्षेत्रों का दुशन करने झऔर बौद्ध शाख्र पढ़ने झौर जमा करने झ्ाये थे। फाहियान ( ५ वीं ई० सदी ) का अनुवाद जाइदस ने, और लेज ने भी अंग्रेजी में किया है झौर टामस वाटस ने * चाइना रिव्यू * के झाठवे' भाग में कुछ टिप्पणी की है । हानसंग या युझानच्चांग (9७ वी ई० सदी ) का अनुवाद सेस्युएल वील ने और थोड़ा सा चादस ने किया है । इद्सिंग (७ वी सदी ) का झन्ुवाद जापानी विद्वान रकाकुखू ने किया है । पच्डछिमी ऐशिया से हिन्दुस्तान का व्यापारिक सस्बन्ध ई० पू० ६-८ वीं सदी से चला झाता था । इसके ब'द बहुत से हिन्दू राजा ने पच्छिमी शासकों से मेल मिलाप के सम्बन्ध थी किये । <्री. ई० सदी से मुसलमानों से राजनैतिक सम्बन्ध प्रारंभ हुआ । < वी सदी में सिल्‍्घ ._ पर सुहस्मद बिन कासिम की झरब फौज ने हमला ही करके विजय पाई । अरबों में इतिहास झरब , लिखने की कला ने बहुत उन्नत पाई थी । उेमान; अबू जैंडलदसन, इबन खुदंवा; अबू ज़ैंदुलदसन, इबन खुदवा,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now