सोवर्ण | Sovarn
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
866 KB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सापत
तीसरा स्वर
कसा बुद्सलुगित शच्द जाल हे! सुदर वारछल !
सनी स्थर
कायरता से पपयना है प्रतिभायानों का!
वायरता से ग्रस्त रहा रतिहास सनुत्र का,
फायरता से गिमुस हथा ग्रतियुग में मानय
निज अतर सत्या से, सत्ता 71 पूसार से ।
पतमान मे हत रहारय-नपहते भतीत या
मृत रूप साग्रत क्षण या, उस प्रति जायत्,
हमया निज निज स्थिति से पृथ स्वप्म के लिए
आत्म यज्ञ में पूृर्णाहुति दँनगी है--
तोसरा म्यर
उसा
ला+ यनज्ञ कहे, मय मृल्या का चातिवाह बन ।
सामातरितत्ता गियल ये दे तीत बतमान के
सत्तों ८ प्रति आपत् बीद्धित पग व्यक्ति या
जा छाया सा काप रहा जननमय सं मृद्ित,
सापधान रहना है. हमा--
एवं स्पर
क्या बउले है। ?
तोपरा स्पर
यामृहिकता कुृपत ये ह पिस्सते भतीते की
फ्पाओशों प॑ हम प्रकाय हटो जा,
हमाा रहा है. सना... सयरित--
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