अमरीका - दिग्दर्शन | America - Digdarshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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No Information available about स्वामी सत्यदेव परिब्राजक - Swami Satyadeo Paribrajak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ण ' * शिकामों का रविधार : १७
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धगर के भीतः और अनेक खान दे जदां और दी तरद के.
मनारजक्षक लेल होते है । ' पु
रपथिवार का दिन इस नगरी में लेग इसी तरद ध्यत्तीत
करते हैं । अप यदां वालों की जीवन-चर्य्या का मिलान यदि...
दम भांरतपर्प से कैप्ते हैं ता कितना बडा अन्तर पाते हैं।
उन्त तमाशो -या नादफों क्री यात जाने दीज्षिये जिनको दमारे . *
बहुन से पाठक शायद् अच्छा न समझे पर और ऐसे फितने
मनारञ्षक या शिक्षाप्रद्.स्रेल तमाशे हैं ज्ञिकका हमारे स्थदेशी .'
भाइयों को शोक है ? थे अपने अवकाश को, अपनी छुट्टियों, ,
को, किस तरदद चिंताते है ? भज्ञ पीकर, ताश खेलकर, पतड़ - '
ड्राकर प्रौर व्यर्थ के चफयाद् में लिप्त रह कर, घक्त की थे
कीमत दी नहीं जानते । यद्यपि कुछ पढे लिखे लेग' ऐसे है
जे इम धुराइयों से घचे शुए है, परन्तु थे तीस फराड
जन-संख्या में दाल में समक फे घरावर भी नहीं | आधी सख्या
'धमारे देश में सूर्खा खतरियें। फी है जिनके याहर निकलने की
आजा ही नदी | जहां फे निवासी सफडे पीछे आठ से सी कम * ,
साक्षर हे। उन्हें दुष्येलनो में डूबने से सगयान ही घचावे । ।
पाठक, यद शिराभा फे एक दिन का हृश्य आपकी भेंट ,
किया गया। आशा है कि आप इससे लास॑ उठाने का यत््
करणगे। से।चिये ता सदी, दमारे देश के फरोडों निर्धन किस
तरद् जीवर्न जाल फाट रहेहई ? जिन्हें हम नीच जाति पे
समभते हे उन्हें किस घ॒णा फी दृष्टि से हम देखते हैं? उनके
छुत्र की हम कितनी परवा करते है ? अपने घर, अपने नगर,
अपनी दिन चर्य्या आदि का अन्य देशों से मुकाचिल् कीजिये
और देखिये कि इस समय दमारा ऊत्तंब्य क्या है ? यदद रचि.
घार का दृषय झापफो इसलिये नही दिस्काया गया कि श्से
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