अमरीका - दिग्दर्शन | America - Digdarshan

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America - Digdarshan by स्वामी सत्यदेव परिब्राजक - Swami Satyadeo Paribrajak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ण ' * शिकामों का रविधार : १७ | हि प् :......3ी्8३>+++ ४“ धगर के भीतः और अनेक खान दे जदां और दी तरद के. मनारजक्षक लेल होते है । ' पु रपथिवार का दिन इस नगरी में लेग इसी तरद ध्यत्तीत करते हैं । अप यदां वालों की जीवन-चर्य्या का मिलान यदि... दम भांरतपर्प से कैप्ते हैं ता कितना बडा अन्तर पाते हैं। उन्त तमाशो -या नादफों क्री यात जाने दीज्षिये जिनको दमारे . * बहुन से पाठक शायद्‌ अच्छा न समझे पर और ऐसे फितने मनारञ्षक या शिक्षाप्रद्‌.स्रेल तमाशे हैं ज्ञिकका हमारे स्थदेशी .' भाइयों को शोक है ? थे अपने अवकाश को, अपनी छुट्टियों, , को, किस तरदद चिंताते है ? भज्ञ पीकर, ताश खेलकर, पतड़ - ' ड्राकर प्रौर व्यर्थ के चफयाद्‌ में लिप्त रह कर, घक्त की थे कीमत दी नहीं जानते । यद्यपि कुछ पढे लिखे लेग' ऐसे है जे इम धुराइयों से घचे शुए है, परन्तु थे तीस फराड जन-संख्या में दाल में समक फे घरावर भी नहीं | आधी सख्या 'धमारे देश में सूर्खा खतरियें। फी है जिनके याहर निकलने की आजा ही नदी | जहां फे निवासी सफडे पीछे आठ से सी कम * , साक्षर हे। उन्हें दुष्येलनो में डूबने से सगयान ही घचावे । । पाठक, यद शिराभा फे एक दिन का हृश्य आपकी भेंट , किया गया। आशा है कि आप इससे लास॑ उठाने का यत््‌ करणगे। से।चिये ता सदी, दमारे देश के फरोडों निर्धन किस तरद् जीवर्न जाल फाट रहेहई ? जिन्हें हम नीच जाति पे समभते हे उन्हें किस घ॒णा फी दृष्टि से हम देखते हैं? उनके छुत्र की हम कितनी परवा करते है ? अपने घर, अपने नगर, अपनी दिन चर्य्या आदि का अन्य देशों से मुकाचिल् कीजिये और देखिये कि इस समय दमारा ऊत्तंब्य क्या है ? यदद रचि. घार का दृषय झापफो इसलिये नही दिस्काया गया कि श्से 51 जा ह रे धः्क की कि हर बह ब दर ध 1 ह 3 रा 1




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