पुरानों में गंगा | Puranon Men Ganga

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Puranon Men Ganga by श्री. रामप्रताप त्रिपाठी शास्त्री - Shree Rampratap Tripati Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री. रामप्रताप त्रिपाठी शास्त्री - Shree Rampratap Tripati Shastri

Add Infomation About. Shree Rampratap Tripati Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सम्पादकीय वक्तव्य सवबत्‌ १९८९ मे श्री गगाजी के पविन्न तठ पर मुझे गगाजी के सबध मे एक पुस्तक लिखने की प्रेरणा हुई ओर मैने सामग्री एकन्रित करना आरभ किया। गगाप्रेमी सज्जनों के सहयोग से यह कार्य सबत्‌ १९९८ मे समाप्त हुआ और “गगारहस्य' के नाम से यह पुस्तक धर्मग्रथावली द्वारा प्रकाशित हो गयी। पुराणों से श्री गगाजी के सबंध में सामग्री एकत्रित करने का काये मैने श्री रामग्रतापजी त्रिपाठी शास्त्री को सोपा था | शासत्री जी ने यह कारये बडे लगन ओर परिश्रम के साथ कर दिया | परन्तु उनकी सब सामग्री का उपयोग “गगारहस्यथ” मे न किया जा सका | दस वष तक यह सामग्री मेरे पास पडी रही । गत वष जब में सम्मेलन का साहित्य मन्नी मनोनीत किया गया तब मैने सम्मेलन द्वार इस सकलन को प्रकाशित किये जाने का अनुरोध किया ओर सम्मेलन के अधिकारियों ने इसे प्रकाशित करना स्वीकार कर लिया | उचित सशोधन के साथ अब यह सामग्री प्रकाशित की जा रही है। हमारे प्राण ज्ञान के भडार है। शायद्‌ ही ऐसा कोई विषय हो जिसके सबंध मे पूर्ण ज्ञान पुराणों में न प्राप्त हो सके । इस ज्ञान का उचित उपयोग करने के लिये यह आवश्यक है कि पुराणों से प्रत्येक विषय के सबंध में सामग्री एकत्रित कर ली जाय । इसी उद्देश्य से श्री गड्गाजी के सबध में सामग्री एकत्रित करके प्रकाशित की जा रही है । यदि हिंदी प्रेमी सज्जनों ने इस सग्रह को पसद्‌ किया तो अन्य विषयों के सबध में भी सामग्री एकत्रित करके प्रकाशित कर दी जाबेगी । श्री दुबे निवास दारागज, प्रयाग दयाशंकर दुबे अक्षय तृतीया २००९




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now