हिन्दी महाकाव्य सिद्धान्त और मूल्यांकन | Hindi Mahakavya Siddhant Aur Mulyankan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
510
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महावाय वो परिभाषा १३
३ नाठटवीय सधिया वा लिवाह ।
डे तायबा का बारोटास गुणा से यतव एवं उच्चकुतान हासोा। ग़
परश वा एकाधिय राजा भी नायर हा सकते है ।
५ शूयार वीर और शान्त रसा मे स णक की प्रमुसवा एव जे य रसा
बा सतायव होना ।
६. अर्तुत्ग फल प्राल्ति [पम्त जब काम साल) ।
७. संग संख्या जाद से जरिए सगा सगाते में छल परियतत के निधस
या लनुपावल |
८. वाशयासर्म्म में नमस्कार मंगवाचरण जोशीव्चन जाहि।
साजन स्तुनलि टजने निहा |
9० साया, यूथ रजनी अठाय प्रात मब्यात्ष भगवा परवतते हे ऋतु
सागर संयोग विप्रवम्भ मुनि स्वेग पुर बेते यात्रा विवाह
मजणा पुश्रनीप्ि जानि वा सागापाग चणन हाना ।
११ भतटाशाय का नामकरण बचि क्या अथवा शायत्रा पर आधारित
हाना । सर्गों का नाम कथा के जाधार पर हांतो चाहिए ।
8 भगवाबा महाबाय ततनका नायर सर ।
संद्ृश क्षत्रिया वाषि 'ाराटाच गुधान्वित ।
एक्बयभवा भूपषा कुतनजा बलवाएि बा॥
हार बार शातानाभवा/द्वों र्सा इृष्यन ।
अग्रातमि सर्वेग्पि ससा सर्यते लोटके संथम्र ॥
श्निरामाझूबव वत्तमयद्टा मजफ्जनाभ्यभ ।
चापारस्तम्थ व्गा स्यृत्तत्व थे फज भंवत्त ॥
अली नमस्क्ियाशार्वों वस्तु निर्रेश एवं वा।
वबित्िन्शग खताहाना संता चै॑ ग्रण्कातनम ॥
एज उत्तमंय पथरवसानय वत्ततर ।
नानिस्यया नालिताधा सथा जप्याधित्रा है ॥
नव बत्त भय क्यायि संग वम्चन दृश्यत |
सर्याति भाविसगस्थ क्पाया भूचन भेजल $|
संध्या सुर्थे८रजनी प्रलेप्वास्त वासरा )
प्रावमप्याद्ष. भूगया. अपवतन्नन्सायरा ॥
सांग विप्रतम्भी चु सुनिस्वगपुराखश ।
रण प्रयाणापयमम-त युव्ाल्याल्य ॥
वणदाया यथा यांग मसामाफ्मा जमी नहे।
केयव तर्य या नाता शामवम्थतस्स्थ था ॥।
तामास्म _ सर्मोपाट्यकक््धमा संग नाम तु।
भम्मिप्रा्ं पुन यथा भवत्यास्पानन्यनवा ॥
-+विश्वनाथ साहित्यदषण, परिच्छेल ५, «१५०४
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