चम्पूभारतम | Champubharatam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
674
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डे
सम्तालोचना । श्&
आबूषमिव बकच्रछाक्रान्तां, पाताठनगरीमिव शपत्यहं वर्घभानवलिशोकाम,
लअड्राज्यसी माम् इव सूर्यतनयालनुकूछप्रतिष्ठाम , रविरधाइघुरमिवैकचकासः ।
ग़छके निर्माणमें ख्वातकीसि बाममइने विरोवामासके दारा गश्यका बढ़ा गौरव
बढ़ाया है, उस विरोधामासका एक इष्टान्त इस चन्पूमारतर्मे मी देखिये--
विश्ल्ुल्दर्घितगिरित्रजनमपि खाछुलाखेद्तिमहीस्॒त्छुछम , जराघटिवदेह-
मपि देदीप्यमानवलप्तस्पदम्र , जाश्माजेतारमपि पदार्थापहारलाधरितारस , सागध-
सपि विगीठब्यापारण
गिरिन्नज, जरा, मागघ आदि पदोका इलेघ इस विरोधामासको चमका रहा है ।
इसी तरह अन्य अल्झारंका मी यथोचित समावेश किया गया हैँ । यद्यपि इस चम्पू-
काब्यमें गयकी मात्रा कुछ कम है, केवरकू कथामागकौ जोड़नेदी कढ़ीका काम गद्य
खण्डोंसे लिया गया है, फिर भी कथानकके विपुल्ताकृत वैचित््यके चलते पाठककों दृदयों-
दवेग नहीं हो पाता 1
ऊपर दिये गये उद्धरणोसे स्थालोपुछाकन्यायद्वारा आपको इस चम्पू अन्यके साद्ित्य-
चमत्कारकी झांकी मिल गई दोगौ विज्वेष इस अन्धमें ही देखें ।
पात्रात्ोचन
इस गझनन््यमें पात्नोकों नया रूप नहीं दिया गया हैं। मदहामारतके पात्र अपने-अपने
रूपमें हा उपस्थित किये गये हैं । मद्दामारतके पात्र इतने प्रसिद्ध ६ कि उनकी मालेचना
मनावदवक है । इस सन्वन्धर्में इतना और जान लेना चाहिये कि जब कवि रसप्रकर्षसष्टिके
लिये कथामें मेद उत्पन्न करते हैँ उस समय कविकल्पित पात्रचरिश्रका आलोचन कवि-
छन्पादित चमत्फारातिशवकी इृष्टिते आवश्यक दो जाता है चन्यूमारतके पात्रोके -चरित्तमें
कोई मौलिक परिवत्तंन नहीं किया गया है। मद्यामारतमें उनके चरितमें जो न््यूनाधिक्य
है उसे ज्योंका त्यों. रख दिया गया है। इसलिये यहाँ पात्रोंको आलोचना नहीं दी
जा रही दे ।
चन्पूभारत की दीका
अम्पूमारतकी दो टीकायें मुझे पदनेछो मिल सकी--१. कुरविकुलचन्द्र रामकवीनद्र-
कहुत दीका ठया--२- नारायण ओऔडझण्डेझत थौका। इसमें दूसरी दोका अत्तिसंक्षिप्त दे ।
पहली टीकामें लो छुटियाँ मुझे दोख पड़ीं, वे नीचे दी जा रही हैं--
१--पाठ झुघारनेका यत्न न करके जो पाठ जैदा देखा उसौकी टीका करनेके लिये
बात अयत्न किया गया है।
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