श्रीमद्भगवद्गीता | Shrimadbhagawadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
38 MB
कुल पष्ठ :
473
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2:9999%%929992329क95&0999999999999333793925€68 €६६४/६66828&<६26&666&&6€६66६€6&€6€६४६६
ए - हे ध
“ ... बेदका वेद !
७ अहं वैश्वानरों शुत्वा प्राणिनां देहमाशितः ।
|] प्राणापानसमायुक्तः पचाम्यज्न चतुविधम ॥ १४॥
। स्वस्थ चाहं हृदि सन्निविष्ठो
५ सच्तः स्मृतिज्ञानमपोहनं च ॥
५) वेदेश सर्वरहलेव वेद्यो
४ वेदान्तकृद्वे दाविदेव चाहम् ॥ १७
ह (भ्र० गी० अ० ५)
0) ४ में वेश्वानर होकर सब आणियोंके देहोंमें रहता हू ओर में ही _
हे वहाँ प्राण और अपानसे युक्त होकर चार ग्रकारके अन्नोंकोी पचाता -
गा] हर टूट (१ ४)
14॥।
« “* से सबके ह॒दयोंमें प्रविष्ट होकर रहा हूँ। झुशसेही स्मरण, ज्ञान.
“ . ओर तके ( अथर्वी उनका अभाव ) होता है। सब वेदोसे में ही जाना -
1 * छ
. जाता हूँ। में ही सब वेदोंका जाननेवाढा हूं ओर पेदका अन्तिम
) तत्व प्रकट करनेवाला भी में ही ६1 (१५)
जि
ध्टट
जल हट
सुद्क और प्रकाशक- ब० श्री० सातवछेकर, 3. 2.
: भारतमुद्रणारूय, स्वाध्याय-मण्डल, लक्लॉध, ( जि. सातारा )
#23399%59859$29939४57999299999 ३७२०२ ६४6 ८४6€£ह5 6६566 ददक्षदक्ध्टइछ घ्ध्ध्थ्न्ज्ध्ध्ध्ध्ट्दध्थट
डक
थ्
User Reviews
No Reviews | Add Yours...