मरणोत्तर | Maranottar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की जाई को भलग करने का साहस नहीं करता और इसीलिए उत्त भावण
के बाहर रह जाता हूँ. यदि यह इंतता धुंधला-सा भावण इट जावे तो
शायद उस आँख की कोरें आनन्द के ज्यार से भरकर छल्क उठें, तो
शायद उसी आँख की अतल गद्दराईयों में में छुख के साथ लय हो सकूँ. तो
शायद इप्त मरण का दम धुटने लगे भीर वह्द मुझमें से निकछ कर भाग
जाये-एकाएक मेरे पास्त से कोई पंछी पँख फड़फडाकर उड़ जाता है, मुझे
इसका भान हो उसके पढले मैं पूछ लेता हूं- * कौन मृणाल ११
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