भज्झिम निकाय | Bhajjhim Nikaay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
697
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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नाम विषय पृष्ठ
४७४ ( ४ ) चूल-वेददल आत्मवाद त्याज्य । उपादान-स्कंध । अ्टांगिक-
मार्ग । संज्ञावेदित-निरोध । स्पशं, वेदना,
अनुशय । १८१
४७५ ( ५ ) चूल-घधम्म समादान चार प्रकारके धर्मानुयायी । १८६
४६ ( ६ ) महाधम्म-समादान धघर्मानुयायियोंके सेंद । १८८
४७ ( ७ ) वीमंसक गुरुकी परीक्षा । ३९१
४८ ( ८ ) कोसंबिय मेल जोलके लिये उपयोगी छः बाते । १९३
४९ ( ९ ) बह्ाम-निमंतनिक बुद्धद्वारा खुष्टिकर्ता ईइवर ब्रह्माका अपमान । १९६
७० ( १० ) मार-तज्नीय मान-अपमानऊा त्याग (क्रकुसं थ बुछका उपदेश)-
महामोद्गढ्पायनका मारकों फटकारना २००
२--मज्थ्चिम-पण्णासक २०७-४२६
६ ( १ ) गहपति-वग्ग २०७-२४६
७५१ ( $ ) कन्दरक स्मृति-प्रस्थान । आत्मंतप आदि चार पुरुष । २०७
७५२ ( २ ) अद्वक नागर ग्यारह अस्त द्वार ( ध्यान ) २१०
५३ ( ३ ) सेल सदाचार, इन्द्रिय संयम । परिभित भोजन ।
जागरण । सदुर्म । ध्यान । २१२
५४ ( ४ ) पोतलिय व्यवहार ( ८ संसारके जंज।छ)के उच्छेदके उपाय | २१६
७०५ ( ५ ) जीवक मांस-भोजनमें नियम २२२
५६ ( ६ ) उपादि सन ही अधान, काया और वचन गोंण | २२४
५७ ( ७ ) कुक्कुर-बतिक निरथंक ब्त । चार प्रकारके कर्म २३३
७८ ( ८ ) अभय राजकुमार लाभदायक अप्रिय सत्यकों भी बोलना चाहिये। २३६
५९ ( ९ ) बहुवेदनीय नीर-क्षीरसा मेल-जोल । संज्ञा वेदित-मिरोध । २३९
६० ( १० ) अपण्णक द्विविधा-रहित घर्म | अक्रियवाद आदि मत-बाद ।
आत्मंतप आदि चार पुरुष । २४१
७ (२) भिवखु-वग्ग र२४७-२८१
<६१ ( १ ) अम्बलट्ठिक-राहु ठो वाद मिथ्या भाषणकी निन्दा २४७
६२ ( २ ) महा-राहुलोवाद प्राणायाम । कायिक भावना । मेत्री आदि
भावनायें । २७०
६४३ ( ३ ) चूल-मालुंक्य बुद्धने क्यों कुछ बातोंकों न ब्याख्येय, ओर कुछ
को व्याख्येय कहा । २०३
६७ ( ४७ ) महा-मार्लुक्य संसारके बंधन ओर उनसे मुक्ति । १५६
६णए ( ५ ) भद्दालि नियमित जीवनकी उपयोगिता । क्रमश शिक्षा । २०५९
६६ ( ६ ) लकुटिकोपम छोटी बात भी भारी हानि पहुँचा सकती है। २६४
६७ ( ७ ) चातुम भिक्षुपनके चार विष्य । २६९
६८ ( «८ ) नछकपान मुझ्ुक्षके कतंव्य । श्७्ड्रे
६०५ ( ९ ) गुलिस्सानि अरण्य-वास व्यथ, यदि संयम नहीं । २७६
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