कथा मंजन | Katha Manjan

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Katha Manjan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कहानी का विश्लेषण हम श्री सुदशेंन जी की हार की जीत” कहानी का विश्लेषण करेंगे । कहानी-कला के कतिपय नियमों का हमने पिछले पन्नों में उल्लेख किया है । वे नियम इतने झटल नहीं कि उनमें परिवतन दो नहीं सकता । कद्दानी-कला के जिन उपकरणों को हम यहां प्रयोग करेंगे वे भी पत्थर की लकीर नहीं हैं. । हाँ; सुविधा के लिए हम कहानी को कथानक, चरित्र-चित्रण, वार्तालाप भाषा-शैली ब्यादि भागों में विभाजित कर सकते हैं । कहानी के विधान ( टेकनीक ) को समझने के लिए यह आवश्यक है कि पाठक पांच-छः वार कहानी को पढ़े ब्पौर उस के कला-सौंदियें के रदस्य को समभकने की चेछ्टा करे । हार की.जीत' में विरोधी चरित्र हैँ । एक साधु-सन्त हैतो दूसरा भयंकर “डाकू । कितनी विषमता है ।--किन्तु कहानीकार ने झपनी लेखनी से विषमता में समता, छणा में प्रेम, शिव में शिव, और पशुत्व में मानवत्व की सष्टि की है ।




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