हिन्दी गद्य वाटिका की कंजी | Hindi Gadhya Vaatika Ki Kanji

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Hindi Gadhya Vaatika Ki Kanji by केशव प्रसाद सिंह - Keshav Prasad Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। कल्यादान--विवाह में फन्‍या देना| बालमित्र--बचपन के सिप्र चौरस--जो ऊँची नीची न हो, | लाज्षागृह--लाख का घर, जी समतत दुर्योपयन न पाडया के लिए रंगभूमि--जलसे शा स्थान... बनवाया था। शुभ्र--सफेद पर ३७ चँंदीवे--छोटे छोटे मडप | भूषित--मजकर यादब--यदु राजा के वंश के । | वकवीय--घल-पराक्रम विकट--विशाल, भयंकर कुंडल--क्ान का गहना भुजबन्द--श्राजूबन्द श५ मचान--भँस आदि फो बाँध फर बनाई गई ऊँची बैठक ! सुहायने--सुन्दर महाधनुर्धागी--धनुप चल्लाने में बस्प्राभुषणों--कपड़ों और गहनों |. बड़े चतुर ऐेश्वये--धन सम्पत्ति | पते जाति, रथ चूर--भरे ्ट हॉकिने बाला डाह_..ऐैपा, जलन 1 ३, यथायिधि--विधि (रीति-रिवाज़) | तिरस्कार सूचऋ-अपमान जदाने ली, घृणा जताने वाक्षी अग्नि को तृप्त किया--श्राग्ि | कई न--सारथि के पुश्र प को जलाया । | ज--चेदिदेश का राजा स्रध्तिवाचत-मंगल पाठा.. । सैंचा--पह काँचनी--कॉयन (चंपा या सोना) 2 है'े पं का भोजन की माता । फलाद्ार--फन्नों का भे अपूर्ष--अनोखा 1 ज भपग-नयादु खाना ७ व पक छुन्द | कचर्म--दरिण का चमड़ा पृष्ठ ३६ | उत्तरीय--दुपट्टा, चादर नरेश-नााजा। + बठ--नाल्ा, स्वर अवण कीजिए--सुनिए » | सूृत सागध--भाट सुराख: >पाठ--प्रशंभा के गीत पेजस्वी--तेज (काम्ति) वाला गाना |




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