लाडनू एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण | Ladanoo Ek Aitihasik Sarvekshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
434
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लाडनू : एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण 23
नए आनन्द के अभाव में जीवन का उत्साह शिधिल पड़ा। कर्मकाण्ड स्थूल होकर कृत्ति
बन गए। वेदों के प्रतीक भौतिक अर्थों में ले लिए यए। याएँ और घोड़े बलि की वस्तुएं
बन गए। अन्धविश्वास जन्मा। व्यथा घनीभूत हुई। बुद्ध और महावीर का अवतरण
हुआ। एक बड़े वर्ग को उनसे समाधान मिला। लेकिन थकने का क्रम जारी रहा।
कमजीर पड़ यए सामर्थ्य के लिए चेतना के स्तर को थामे रखना कठिन हो गया।
बाहरी आक्रमणों का सिलसिला तेज हुआ। नईसभ्यताओं का समायमहुआ। आधारभूत
मान्यताओं पर आघात भी लगा। अनेक प्रकार के आतंक और बलात्कार को भी सहन
करना पड़ा। गुलामी की एक लम्बी अवधि शुरु हुई। अवसाद फिर घनीभूत हुआ।
विवशता में समर्पण के द्वार खुले। सन््तों का आविभ्भाव हुआ। भक्ति की धारा बढी। एक
सहाय फिर मिला। तत मन को कुछ समाधान भी। जीवन पुन: - पुन: सम्भला। कुछ
स्तरों पर समन्वय भी सधा लेकिन स्वस्थ सन्तुलन का सदैव अभाव रह्ा।
देश आजाव हुआ लेकिन जीवन मूल्य मात्र आर्धिक आधारों पर आकर अटक यए।
चेतनायत अवगाहन का तो प्रश्न ही खत्म हो गया। कहने को तो हम कहते रहते हैं कि
अपने सभ्यता भण्डार में से विश्व को देने के लिए अभी भी हमारे पास बहुत कुछ बचा
है लेकिन यह मात्र एक दम्भ की स्थिति है।
सर्वत्र जीवन एक है। कहीं से भी खण्डित नहीं। हम सब जीवन के मह्यसायर पर लहरी
के समान हैं। घटनाओं के अपने-अपने तल हैं। झानेन्द्रियों के अपने-अपने कम्पनांक।
इन्हीं के अनुरूप उनकी औकात है। उसमें जितना समा पाता है, उतने सात्र की वे
व्याख्या कर वेती हैं। कम्पनांक बदलने पर तल भी बदल जाता है। तल बदलने पर
व्याख्या भी। घटनाएँ ऊपर हैं, जीवन भीतर। भीतर के जीवन का समय की रेत पर
कोई अंकन नहीं होता। वह शाश्वत, सनातन और समयातीत है। भीतर के जीवन से
जुड़ना स्व से जुड़ना है। यही धार्मिकता है। धार्मिकता हृवय का स्वभाव है, उसका
कोई वृत्त लेखन सम्भव नहीं।
अच्छा-बुरा, शुभ-अशुभ, हार-जीत अपने अपने आग्रहों के परिणाम हैं। मनुष्य को
प्रिय लगने वाले ये आग्रह कभी-कभी के लक, हो जाते श कवि कं 2 1 घूमित,)
पड़ने लगती है। जिस कक बा
सोत के अभाव में है। वह पुन: किसी सहज, सरल, उद्गम की
तलाश में व्यग्र हो उठती है। तब पिदु की डिेंयी भेजहन या जन्यू लेता है।
॑-+क 3० /न«-»यतीयी अन्कूर विनाम-आ थे कयम्ज।
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