भारतीय वन अधिनियम मीमांसा | Bharatiy Van Adhiniyam Mimansa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावनां क््पू
(२-०) इस बाशय से जोड़ी है कि उपधारा (२) में अन्तविष्ट किसी बात के होते
हुए भी इसका विस्तार उन राज्यक्षेत्रों में है जो प्रथम नवम्बर १६५६ से ठीक पूर्व
पटियाला तथा पूर्वी पंजाब रियासत संघ में समाविष्ट थे । इसके अतिरिक्त उपधारा
(३) में उड़ीसा शब्द के बाद पटियाला तथा पूर्वी पंजाब रियासत संघ शब्द
अन्तः स्थापित किए हैं ।
हिमाचल प्रदेश संशोधन-- हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी वन अधिनियम की
उपधारा (२) के बाद एक उपधारा (२-ए) इस आशय से जोड़ी है कि उपधारा (२)
में अन्तविष्ट किसी बात के होते हुए भी इसका विस्तार ऐसे राज्य क्षेत्रों, जो प्रथम
नवम्बर १६५६ के ठीक पूर्व पटियाला तथा पुर्वी पंजाब रियासत संघ में समाविष्ट
थे और पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा ५ के अधीत हिमाचल प्रदेश में तब से
विलीन हो गए हैं, में भी है।
टिप्पणी--वन अधिनियम की घारा १ की उपधारा (२) में विस्तार और
उपधारा (३) में 'लागू' शब्द प्रयोग किए गए हैं। इन दोनों शब्दों में यह अन्तर है
कि जहाँ विस्तार शब्द केवल अधिकारिता की व्यापकता दिखाता है, लागू” शब्द
उसका वास्तविक प्रवर्तन दिखाता है। उदाहरण के लिए भारतीय वन अधिनियम
का असम तथा मद्रास (नया नाम तमिलनाडु और आमऋन्ध्र प्रदेश) में विस्तार है परल्तु
वह वहाँ लागू नहीं है। उन राज्यों ने क्रमश: अपने विनियमन या अधिनियम बना
लिए हैं ।
उपधारा (३) में “किन्तु किसी भी राज्य की सरकार राजपत्र में अधि-
सूचना द्वारा इस अधिनियम को उस पूर्ण राज्य में या उसके किसी विनिदिष्ट भाग
में, जिस पर इसका विस्तार है और जहाँ यह प्रवतेन में नहीं है, प्रवर्तन में ला
सकेगी वाक्यांश ने राज्य सरकारों को यह छठ दे दी है कि वे इस अधिनियम को
राज्य के उन भागों में जहाँ उसका विस्तार है परन्तु वह प्रवर्तन में नहीं हैं, प्रवर्तत
में ला सकती हैं। इसी शक्ति का प्रयोग करते हुए उपरोक्त राज्य सरकारों ने राज्य
सीमा में फेर-वदल के परिणामस्वरूप राज्यों में मिले नए क्षेत्रों तथा उसमें विलीन
रियासतों में भी उसे लागू कर दिया है ।
अधिनियम में प्रयुक्त पदों का निर्वेचन
घारा २--इस अधिनियम में जब तक कि कोई बात विषय या संदर्भ से
विरुद्ध न हो-
(१) 'पशु' के अन्त्यत हाथी, ऊंट, भेंस, घोड़े, घोड़ियाँ, खस्सी पशु, व्ट्टू ,
बछड़े, बछे डियाँ, खच्चर, गधे, सुअर, मेढे, सेढ़ियाँ, भेंड, मेसने, बकरियाँ और
बकरियों के भेमने हैं ।
(२) “बन अधिकारों' से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे राज्य सरकार
या राज्य सरकार द्वारा इस निभित्त सदाक्कत कोई अधिकारों इस अधिनियम के सदर
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