भक्ति - सूत्रम | Bhakti Sutram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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नारबभक्ति-सत्र
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कहता है इसकारण परम पुरुषाथ मोक्ष द। एसमज्र साधन ॥|
प भक्ति की व्याख्या करिये ? तव मह॑पि नारदजी छुछ ;
के द्वारा भक्ति की व्याख्या करने लगे उन नारद छत ;
शक्तिसत्रों में पहिला सूत्र यह है- 2
अथातो भक्ति व्याख्यास्याभः ॥१॥
धशदो मंगलवाचक+ तथा चोक्त-ओंकास्थ्राथ शब्दश्न
ढावेतो ब्रह्मणः पुरा | करठं भिल्रा विनियातोौ तस्मान्माडु
वुभी । आनन्तर्यवाचकी वा अथशब्दः, झेपायनप्रश्ना
नन्तरमित्य4ः । अतः भक्तेरव परमपुरुषाथापायभूतत्वात !
भक्ति व्यास्यास्यामः मक्ति तल्ववर्णनेन विद्वशुमः । ;
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( ग्थ ) क्ृष्णद्धेपायनके प्रश्न करने के अनन्तर (अतः )
एक मात्र भक्तिके ही परम पुरुषाथ मोक्षका साधन होने
से ( भक्तिय ) भक्ति को ९ व्याख्यास्यामः ) तत्त बेन के
द्वाग विस्तार से वर्णन केरेंगे।
( भावार्थ )
कृप्यट्ेपायन वेदस्यासजी के प्रश्न करने पर देव॑पि नारद
जीन कहा, कि-हे महेप ! में आप के प्रश्नके अनुसार परस
पुरुगावसाथक पम्मग्रेमहपा भक्ति की व्याख्या करूँगा, 1
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कार कर्म के लिए हो है। आपने अपने शिष्य जामाने $
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