श्री बृहत्कल्प सूत्रम् | Shri Brihatkalp Sutram

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Shri Brihatkalp Sutram by हस्तिमल्लो मुनि - Hastimallo Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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&#हके प्रन्‍न्धक के दो शब्द छैं#क लक्ष्य रहित, अनियन्त्रितत जीधन, जीवन नहीं, महृदुभावों से भरा अ्नुशासित एवं संगत लीवन ही आदर्श-मानवीय-जीवन है। जो, मनुष्य जीवन जैसे अनमोत्य, दुर्लभ जीचत को पाकर भी अपनी उद्दाम-लालसा, विषय-तृष्णा तथा क्रोधादि- कपाय भावों पर निम्रन्त्रण नहों रखता, दुरविचारों का उपशमन नहीं करता, भत्ता बह भी क्या सानव कहाने का अधिकारी है? उससे तो वे पशु पक्षी अच्छे, जो अज्ञानता की दशा सें भी पापातिरेक से बचे रहते हैं | संसार में जितने भो महापुरुष हुए हैं, उनकी महत्ता उसके शुभ्ाचरणों के द्वारा द्दी कुन्द्तत की तरह तपकर निखर पायी | शा, पुराणों में उनके अलौकिक अआाच- रणों का महत्वपूर्ण दिग्दशन है, जो भावी पीढ़ी के पथ प्रदर्शन के लिये प्रकाश-स्तम्म की तरह चिरकाल से चमकता आरहा है। _बुदृत्कल्प!! उन्हीं आदर्श पुरुषों के कर्त्तत्यों का परिचायक शाज्ल है, जिम्में दिखाया गया है कि उभयज्ञोक कल्याण कामियों को कैसे चलता, ठहरना, खाना, पीना, आना, जाना, तथा लोक समुदाय के संग व्यवस्थित उम्रचहार पूर्वक जीवन _ भापत्त करना चाहिए। यद्यपि बृइत्कल्प का प्रशयतत साधु चर्ग के निम्रित्त हुआ है फिर भी हम संसारी मानत्र इस में प्रतिपादित अनुशासतात्मक तरीके से अपनी आात्सा का अश्युद्व कर जीचच को सफल चना सकते हैं| है दले ही सम्पादित कर दिया से इसके प्रकाशन का अवसर सस्पक ज्ञान प्रचारक मण्डल्ष ? साद्वी एवं आगमग्रेमी सज्ननों की राय इसको भ्रफाशित्त कर देन की हुए । चुपाग से उस समय जीमान्‌ “सरदारनाथजी मोदी एडभोक्ेट ज्ीधघपरए पूज्य श्री ने इस सूत्र का अनुवाद आज से चहुत प था, किन्तु इसी बीच दूसरे सूत्रों के प्रकाशन होते रहने प्राप्त नहीं हुआ | इस वर्ष सेइता चातुर्सास में ४ ( जभपुर ) के कुछ छः




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