प्रमेयरत्नमाला | Prameyaratnamala

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Prameyaratnamala  by पंडित हीरालाल जैन - Pandit Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है प्रस्तावना अनुछन का वर्णन कमंमीमासा का विपय है । जीव, जगव्‌ और ईइवर के स्वरूप तथा सम्बन्ध वा निरूपण ज्ञानमीमासा वा विषय है। वर्ममोमासा वो पूर्व मौमासा तथा ज्ञानमीमासा दो उत्तरमीमाखा भी वहते हैं। किस्तु बंतंमान में कर्मभीमासा के लिए केवछ मीमासा झब्द का प्रयोग किया जाता है और ज्ञानमीमासा को -ेदान्त' शब्द से गहा जाता है। महूधि जैमिनि मीमासादश्शन के सृत्रवार हैं। मौमासादर्शन के इतिहास में कुमारिछ भट्ट का सुग सुवर्णयुग के नाम से कहा जाता है। भट्ट के अनुयायी भट्ट कहलाते हैं।॥ मीमासा के आचार्यों मे प्रभाकर मिश्र वी भी बडो प्रसिद्ध है। प्रभाकर के अनुयायी प्राभागर कहे जाते हैं । इस प्रवार मीमासा में भाट्ट और प्राभाकर ये दो परषक्‌ सम्प्रदाय हुए हैं। सूत्रकार ने मीमासक, प्राभाकर और जैमिनीय इन तीन नामों से इस दक्शषत का उल्लेख किया है। प्राभाकर पदार्थां की सख्या ८ मानते हैं-- द्रब्य, गृण, कम, सामान्य, परतन्त्रता, शक्ति, साहश्य और सस्या । भाट्टो के अनुध्वार पदाय॑ १ हैं--द्रब्य, गुण, कर्म, सामान्य और अभाव । वैशेषिक द्रव्य नी ही मानने हैं किन्तु भाद्ट अन्धकार और दाब्द ये दो द्रव्य अधिक मानते है। प्राभाकर प्रत्यक्ष, अनुमान, आगम, उपमान और थर्यापत्ति ये पाँच प्रमाण मानते हैं और भाट्ट अभाव सहित छह प्रमाण मानते हैं । मीमासको के अनुसार ज्ञान का प्रत्यक्ष नहीं होता है। भान न तो स्वय वेद है और न ज्ञानान्तर से वेय्य है। अत एवं बह परोक्ष है। मीमासको के इस परोक्षज्ञान मे प्रमाणता वा निराकरण करने के लिए सूत्रकार ने प्रमाण के छक्षण में 'सव' पद किया है । ज्ञाव में प्रमाणवा और अप्रमाणता कैसे आती है इस विषय में विवाद है। न्याय-वैशेषिक दोनो को परत , साल्य दोनो को स्वतः तथा मौमासक प्रामाष्य को स्वत* औौर अप्रामाण्य को परत* मानते है । वृत्तिकार ने “तत्प्रामाष्य स्वत परतश्च' इस सूत्र की व्याख्या मे विशेषरूष से मीमासको की मान्यता का निराकरण क्या है। भीमासको का कहना है कि जिन कारणों से ज्ञान उत्पन्न होता है उतके अतिरिक्त अन्य किसी कारण वो प्रमाणता की उत्पत्ति में अपेक्षा नही होती है। उनके अनुसार प्रत्येक ज्ञान पहले प्रमाण ही उत्पन्न होता है। बाद में यदि कारुणो, से दोष्ज्ाद झपया चालक प्रत्यय के द्वारा उसकी प्रमाणता हटा दो




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