विश्व के प्रमुख संविधान | Vishva Ke Pramukh Sanvidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
776
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)] हे
1
ब्रिटिश संविधान का विकास
(00एश,0एशागरा' 07 प्र छा्ाप्रडप्त 005प्र/एप00)
“विदेशी विजयों तया देश के भीतर ऋ्रान्तियों के होते हुए भी
बिटिश जनता का राष्ट्रीय जीवन चौदह सो वर्षों तक मिर्बाध
चलता रहा। क्सो भी समय वतमान तथा भूतकाल की शइ पला
भंग नहीं हुई, किसी भी समय ब्रिटेन के निवासियों मे किहीं
चकाचोंध करने वाले सिद्धान्तों को मानकर एफ बिलकुल नया
सविधान बनाने झा प्रयत्न नहीं किया। हमारे विकास का प्रध्येष
चरण किसी पृथवर्ती क्रिया का परिणाम रहा है। हमारे कातुत
तथा सविधान में हुआ प्रत्येक परिवतन कोई बिलकुल नई बात नही
लाया है, बल्कि पहले से विद्यमान किसों पुरानो बात का विकास
तथा उसमें सुधार रहा है ।/” जशीमन
ब्रिटेन और उसके निवासी
सामास्य व्यक्ति जिस देश को इगलंण्ड, ब्विटेन या ग्रेट ब्रिटेन के नाम से
जानते हैं. उसका पूरा नाम 'प्रेट ब्रिदेन और आयरलण्ड का धयुक्त राज्य (01०6
कैयाहतता 0 6768 छड(डाप शा रिठातीढा गढांथ्ा0) है । यद्यपि नाम मे
1 *ग॥8 0गराधा एदागार [6 भी फ० फ़लणए5 7ए/ए/भरक्षावाह गिथढा
९00प7९७४8 क्षाप प्रदाक्ष एएजप्रधणार 148 उद्रश्याव्त पगरणाएप्शा शशि
0प्राशध्या धाएततत एटच8... 0६10 प्रत्पराद्य पी6 06 #000007 (18 ए10-
श्च्या बात (16 9451 व फढला शी01ए उक्य वशयतेंशा, व 70 प्10॥/601 1858
गा ए80एछ6 54६ त०जा ३0 एए 084गश व. फ्राणोए ए०ए ०णाधा[।ध।णा
11 0बवाशा०8 [0 5०6 तरह धीध्णाए. दिबर्क अऑच्कू ग गया झा
35 80 16 पक्षाएयां 6०75९चएथ7०8 ० 5076 दब्ाराध 0905 हल एबाह्०
प्रा ७ए [89 ब्रा 00151 पएणा 195 96०0 700 116 एणाड्वाएड रे ब्ाजएगाह
गण जा 106 त6एड०फ्गाथाई ब्रा प्रवण्ा०एशालाएं थी 8णराथाड ऐव एव5
गध्यतेए गंव
न 1 3 1 3 1 80 हा 5 अप 4 0८ ऋए जडी:
User Reviews
No Reviews | Add Yours...