उन हाथों से परिचित हूँ मैं | Un Hathon Se Parichit Hoon Main

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Un Hathon Se Parichit Hoon Main by शलभ श्रीराम सिंह - Shalabh ShriRam Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शलभ श्रीराम सिंह - Shalabh ShriRam Singh

Add Infomation AboutShalabh ShriRam Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हमारी धरतो कहाँ है? छ मोआबजा लेकर गाँव छोड देने को तैयार हैं लोग देश छोड़ देगें मोआबजा लेकर एक दिन गाँव और देश को इस तरह बेचने वाले लोग कहाँ से आ गए हैं हमारी दुनिया में? कहाँ से आ गए हैं गाँव और देश के खरीददार माँ और मादो के इन सौदागरों को किस घरती ने जन्म दिया है आखिर? क्या इसी धरती ने? फिर यह धरती हमारी कहाँ रही? हम क्सि धरती को अपनी कहकर पुकारें ? हमें जन्म देने वाली हमारी धरती कहाँ है इस धरती के भीतर? इसी सवाल में तब्दील होता जा रहा हूं मैं उन तमाम लोगों की तरह जा इसो सवाल में तब्दील होते जा रहे हैं। नई दिल्‍ली व्ा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now