राजनीतिक अर्थशास्त्र संक्षिप्त पाठ्य क्रम | Rajnitik Arthshastra Sankshipt Pathya Kram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
448
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय २
पूँजीवाद-पूर्व की उत्पादन-पद्धतियां
१. आदिम समाज
आदिम युग बहुत लम्बा रहा है। वह लाखो वर्षों
तक कायम रहा और केवल छः या सात हजार वर्ष
पहले ही समाप्त हुआ। आदिम युग के लोगों की
अपनी कोई लिविबद्ध भाषा नहीं थी। फलत:, उन्होंने अपना कोई लिखित
इतिहास नहीं छोडा । उनके जीवन और उनके सामाजिक सम्बधों के बारे में
बेज्ञानिक जानकारी मुख्यतः पुरातात्विक तथा जाति-विज्ञान सम्बंधी अनुसन्धानों
से हो प्राप्त होती है
समूचे सूयंमडल के समान, हमारा गृह भी अरबों बर्षों से कायम हे।
करोड़ों साल गुजरने के वाद ही इस पर जीवन के लक्षण दिखायो दिये थे।
लेकिन इसके बाद भी, पशु ससार से निकल कर वर्तेमान स्वरूप भ्रहण करने मे
मनुध्य को बहुत ज्यादा समय लगा ।
मनुष्य के अति प्राचीन पूर्वज गिरीहों मे रहते थे; आदिम कालीन मनुष्य
भी गिरोहो मे रहते थे | समुहो से ही वे भोजन के लिए भूमि की तलाश करते,
सयुवत रूप से वे औजारो का निर्माण करते और संयुक्त रूप से ही उनका
इस्तेमाल भी करते थे। पशुओ के गिरोह ओर मानव समाज को, उसके उदप के
समय से ही, अलग चरित्र देने वाली चीज थी--अश्रम, श्रम के औजारों का
उत्पादत । बनमसानुषों का गिरोह सभी उपलब्ध फलो को खा जाता था ओर
फिर भूख की चपेट उसे किसी दूसरे स्थान पर भगा ले जाती थी। उनका सहन
ज्ञान उन्हें प्रकृति के साथ निष्किय ढग से तालमेल बंठाने को मजबूर करता था;
इससे ज्यादा वे कुछ नही कर पाते थे ॥ इसके विपरोत, मानव समाज अपने
श्रम का प्रकृति पर प्रयोग करता रहा है ।
समाज और प्रकृति के दीच कोई बहुत बडी गहरी खाई नही है, जैसा कि
शोषक वर्गों की ओऱ से दावा किया जाता है। इन वर्गों का काम किसी
“सुष्टा” के बिना चल ही नहीं पावत | सातव समाज का उदय एक बहुत
बडी क्ान्तिकारी छलाग थी । प्रकृति मे इस प्रकार को अनेकानेक छुलायें भरी
मानद समाज का
उदय
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