सफ़र से पूर्व | Safar Se Purv

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Safar Se Purv by हेमेन्द्र चण्डालिया - Hemendra Chandaliya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जय पेड़ शटता है व देह ब८ा है, हद, वि पेड की नहीं जरा, पटुत गहरे शटटों, पुछत टने सदा है । विग्द, प्रतोश, पशों की सरगराहूट वा श३7, छय, फूलों की कृबिया शिट्टियों शा पीव-- सभी बुछ तो बंदने सगता है ! घूृष-छांव पा गेल, जुगासो को यात मरच्चों मा--गिलहरियों हा उत्पात, हटने सगता है । जय पेट बटता है तो वुछ महीं बधता-- युद्ापे मी नींद, गुसमोहर की यातें, बधपन की यादें-- सभी कुछ छंदने लगता है । कोौओआ, टू पर शुलसाती दोपहर का पहाड़ा रटते खगता है। अब पेड़ पटता है | 23




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