तीखा सूरज | Teekha Suraj

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Teekha Suraj by दयाशंकर - Dayashankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीखा सूरज || २३ “झौर तू चगा कहा करता हैँ हर बार ? ब्या ? “(कि भाज तक तूने कोई बाजी जीती है बिना बेईमानी के ?” /हाँ, हाँ । कौन सी बाजी जीती है तूने बिना “भर जीतूगा प्यारे । भव जीतूंगा । “बया ? कौन सी बाजी ? “प्न्धे की बेटी !! “अन्चे की बेटी ?' “माधुरो ।” झशोक में कहा । “आघुरी !” सुमन का मुंह खुला का खुला रह गया ।




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