गृह विधान | Grih Vidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
62 MB
कुल पष्ठ :
338
श्रेणी :
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No Information available about सुभद्रा कुमारी चौहान - Subhadra Kumari Chauhan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निरीक्षण का श्रवसेर प्राप्त हुआ है वे एकदम यह कऋद्द सकेंगे कि कुठुम्ब के लगभग सभी
लोगोंका दिनका अधिकांश समय दद्दलान की बेठक में ही व्यतीत होता है। जिस तरह
आधुनिक काल में एक खण्डवाला मकान बनाने की मनाई है उसी तरह पुराने जमाने में
बिना दहलान के मकान बनाने की मनाई थी। इसबात का पता प्राचीन शिक्ष्पग्रन्थों के
अभ्यास से चलता है। इस बात से ओर दहलान के उपयोग की विस्तीण प्रथासे यह सिद्ध
द्ोता दे कि बिना दद्लान का मकान घर तो नहीं बल्कि एक तरह का गोदाम ही द्ोसकता
है। पश्चिमीय देशों में बिना दहलान के मकान बहुत देखने में आते हैं । दहलान रहित घरोंहा
प्रचार वहां की आबहवा के कारण से है, अथवा वहां की रहन-सदह्दन के सबब से है या
इस प्रकार के मकान बनना परम्परा से चला आया है अथवा पेसे की काटकसर या ओर दूसरे
कोई कारण से है, यह निश्चित तौर से नहीं कहा जा सकता। शायद वैज्ञानिक दृष्टि से यह
सिद्ध हो सके कि आबहवा के कारण पश्चिमीय देशों में भी अलिंद या दहलान का कोई भी
प्रकार आवश्यक द्ोना चाहिए । परन्तु पश्चिमीय रिवाज को हिन्दुसख्थान में लागू करके बिवा-
दहलान के मकानों के लिए यहां जरा भी स्थान नहीं है ।
साथ ही साथ इतना और भी ध्यान में रखना चाहिए क्रि इस तरह का बिना दहलान-
वाला मकान बनाने की श्रथा से एक चबूतरे के समान आकार का ठद्भव हुआ दे । इस जाति
के आकार में एक चोरस के चार अथवा अधिक भाग करके बीचमें शआनेजाने के लिए रश्ता
बनाकर खरड अथवा उपखरड में जाने के लिए राष्तों में शाखायें रखकर नकशा बनाने में
आता है । इस तरह की बनावट से अ्रधिकतर सारी चाली में अंधेरा रहता है ओर हरएक
कमरे में पूर्ण हवा-प्रकाश नहीं रहता । द्वां, ख् में कुछ फायदा द्वोता है, परन्तु इस तरहदद
की बचत करने की श्रपेज्ञा खएड अथवा उपखणड कम करके उसी ज्षेत्रफत्त का उपयोग
दहलान बनाने में ओर दृवा-प्रकाश सीधे आने जाने के सुभीते के लिए करना, विशेष
सलाहपूर्ण होगा ।
इस तरह ददलान का महत्व समभने के पश्चात यहू सरलता से समझ में आसकेगा कि
दहलान की लम्बाई-चोौड़ाई में कमी नहीं करना चाहिए। छः: फुटक्ी दहलान को दहलान
नहीं कह सकते, उसको तो सिर्फ आनेजाने अथवा जूते रखने की जगह ही कद्ट सकते हैं।
दहलान की चौड़ाई लगभग आउठ या नो फुट अथवा इससे भी जितनी ज्यादा दो सके रखनी
चाहिए। मध्यम वर्ग के घरों के ज्ञषिए दस से बारह फुट नाप वाली दहलान रखना सलाहपुर्ण
एवं उचित होगा । बड़े मकानों में पन्द्रह फुट के नाप की दहलान हो सके तो ओर भी अच्छा ।
दहलान को पूरा बन्द करने का रिवाज ब्रिलकुल ठचित नहीं है | यदि बचाव की
दृष्टि से इस प्रकार दहलान बन्द की जाय ते वह कुछ दर्ज तक क्षम्य है। परन्तु इस तरह
दददलान बन्द करने में यदि जाली अथवा शआरपार दिखनेवाली चीजों का उपयोग किया जाय
तो उचित द्वोगा। बोछार या धूप को रोकने के लिए ददलान को बन्द करना तो श्र्थद्दीन दी है । यदि
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