सभा शृंगार | Sabha Shringar

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Book Image : सभा शृंगार  - Sabha Shringar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अंथमाला का परिचय: जयपुर राज्य के अ्ंतग त हशोतिपा ग्राम के रहनेवाते बा (हुट तू विद द। उ जी के पुत्र बारहट बालाबछगन्ी को बहुत दिनों से इच्डा थी कि राजवूतों और चारणों को रचो हुई ऐतिहातिक और (डिंगल तथा पिंगनज्ञ ) कविता की पुस्तक प्रकाशित की जायें जिउमें हिंदी साहित्य के मांडार की पूर्व हो ओर ये अंथ सदा के लिये रक्षित हो जायें। इस इच्जा से प्रेरित होफर उन्होंने न बःर सन्‌ १६२२ में ५०००) रु० काशी नागरीप्रचारिशी समा को दिए ओर सन्‌ १६२३ में २०००) रुू० और दिए। इन ७०००) रु० से १४) वार्षिक सूद के १९०००) के अंकित मूल्य के गर्र्भेंड प्रामिवरी नोट खरोद लिए गए हैँ। इनकी वार्षिक श्राथ ४२०) रु० होगी। बारइट बालाबख्रानी ने यह निश्चव किया है कि इस आय से तथा सावारण ब्यय के अ्रनंतर पुध्तकों को बिक्री से जो आय हो अथवा जो कुड्डु तद्ायवार्थ ओर कहीं से मित्ले उपते “बाल्ाबड़श राजयूतब चारण पुस्तक़वाला? जाम को एक ग्रंथावली प्रकाशित को जाय जिपमें पहले राजपूर्तों ओर चारजों के रचित प्राचीन ऐतिहासिक तथा काव्य ग्ंव प्रद्काशित किर जाये ओए उनझे छुप जाने अयवा अमभातर में कियी जातीय संप्रशाय के कियी व्यक्ति के जिले ऐसे प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथ, ख्वात आदि छापे जायें जितका संबंब राजपूर्ो अयपवा चारणों से हो । बारहट बालात्रएग॒जों का दानरत्र काशी नागऐ- प्रचारिणी समा के तीखवें वार्षिक वितरण में श्रत्रिकत प्रकाशित कऋर दिय्रा गया है। उसकी घाराश्रों के अनुकूत् काशी नागरीयवारिणी सभा इस पुध्तक माला को प्रकाशित फरती है । द




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