यज्ञवल्क्य शिक्षा | Yagyavalkya Shiksha

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Yagyavalkya Shiksha  by श्रीकृष्ण दास - Shree Krishna Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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याज्षवल्वयशिक्षा। .“. (९४) नकारान्त पद पूर्व ही! सकार आगे हो तो त सवर्णी हो, यथा त्रीन्त्समुद्गान्‌ यह उदाहरण है॥ ४५ ॥ पकारांतेपदेपू्वें शकारेप्रत+स्थिते ॥ फंसवणविजानीयादलुष्प्छारदीतिनिदर्शनम्‌ ३३1।५७॥४६॥ पकारान्त पद्‌ पूर्वमें हो आगे शकार हो तो फ सवर्णी जाने अनुष्टप्‌ शारदी यह उदाहरण है ॥ ४६ ॥ मकारातेपदेपूवेंसबर्णेपरतःस्थिते ॥ मसवर्णविजानीयादिमम्मेतिनिद्शेनम्‌ २११ ॥ ४७॥ मकारान्त पदके आगे सकार हो तो सवर्णी मकार हो 'हमम्मे? यह उदा-. हरण है ॥ ४७ ॥ वर्णतमाजिकेपूवेअड॒स्वारोद्िमाजिकः ॥ ह द्विमान्रेमात्रिकोज्ञेयः संयोगाबश्वयोभवेत्‌ ॥ ४८॥ - एक मान्नावाले वर्णके आगे द्विमात्रिक अनुस्वार हो तो द्विप्रात्रिक द्विमाना- . वारा जानों, जिसका जो संयोग हो ॥ ४८ ॥ अन॒स्वारोद्धिमात्रःस्याह्वर्णव्यंजनादिगः ॥ हस्वाद्रायदिवादीधोदेवानाठ डदयेभ्यइतिनि * 18६1४६।४ ९ अनुस्वार दो मात्रावाढा हो ऋषण् व्यंजनके पूर्षमें प्राप्त हुआ हो तो द्विमात्रिक , होगा है, हस्व वा दी चाहै किसीसे परे हो देवानां हृद्येभ्यः यह उदाहरणहै ॥४५॥ अल॒स्वार्स्थोपारिश त्संबृतंयत्रदृश्यते । दीघतंतुविजानीयाच्छोताआवाणेतिनिदर्शनम्‌ ६॥२६॥५ ० ॥ अनुस्वारके आगे यदि संइत प्रयलवाला वर्ण दीखे तो उसे दीर्घ जाने, श्रोता . ग्रावाण: यह उदाहरण हैं ॥ ५० ॥ ' ' अजुस्वारस्थोपारिशत्संयोंगोयत्रदश्यते ॥ हस्वंतंतुविजानीयात्सर्ठस्थेतिनिदर्शनम्‌॥ २९ । २९ ॥६१॥ अनुस्वारंके ऊपर जहां संयोग दीखे उसे हस्व जाने स०स्था यह दृशन्त है॥५१॥ अन॒स्वास्थयोदीर्घादक्षराद्योभवेत्परः ॥ , सतुद्वस्वइतिज्षेयोमेत्रेष्वेव विभाषया ॥ «२ ॥




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