यज्ञवल्क्य शिक्षा | Yagyavalkya Shiksha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
46
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)याज्षवल्वयशिक्षा। .“. (९४)
नकारान्त पद पूर्व ही! सकार आगे हो तो त सवर्णी हो, यथा त्रीन्त्समुद्गान्
यह उदाहरण है॥ ४५ ॥
पकारांतेपदेपू्वें शकारेप्रत+स्थिते ॥
फंसवणविजानीयादलुष्प्छारदीतिनिदर्शनम् ३३1।५७॥४६॥
पकारान्त पद् पूर्वमें हो आगे शकार हो तो फ सवर्णी जाने अनुष्टप् शारदी
यह उदाहरण है ॥ ४६ ॥
मकारातेपदेपूवेंसबर्णेपरतःस्थिते ॥
मसवर्णविजानीयादिमम्मेतिनिद्शेनम् २११ ॥ ४७॥
मकारान्त पदके आगे सकार हो तो सवर्णी मकार हो 'हमम्मे? यह उदा-.
हरण है ॥ ४७ ॥
वर्णतमाजिकेपूवेअड॒स्वारोद्िमाजिकः ॥ ह
द्विमान्रेमात्रिकोज्ञेयः संयोगाबश्वयोभवेत् ॥ ४८॥ -
एक मान्नावाले वर्णके आगे द्विमात्रिक अनुस्वार हो तो द्विप्रात्रिक द्विमाना- .
वारा जानों, जिसका जो संयोग हो ॥ ४८ ॥
अन॒स्वारोद्धिमात्रःस्याह्वर्णव्यंजनादिगः ॥
हस्वाद्रायदिवादीधोदेवानाठ डदयेभ्यइतिनि * 18६1४६।४ ९
अनुस्वार दो मात्रावाढा हो ऋषण् व्यंजनके पूर्षमें प्राप्त हुआ हो तो द्विमात्रिक
, होगा है, हस्व वा दी चाहै किसीसे परे हो देवानां हृद्येभ्यः यह उदाहरणहै ॥४५॥
अल॒स्वार्स्थोपारिश त्संबृतंयत्रदृश्यते ।
दीघतंतुविजानीयाच्छोताआवाणेतिनिदर्शनम् ६॥२६॥५ ० ॥
अनुस्वारके आगे यदि संइत प्रयलवाला वर्ण दीखे तो उसे दीर्घ जाने, श्रोता
. ग्रावाण: यह उदाहरण हैं ॥ ५० ॥
' ' अजुस्वारस्थोपारिशत्संयोंगोयत्रदश्यते ॥
हस्वंतंतुविजानीयात्सर्ठस्थेतिनिदर्शनम्॥ २९ । २९ ॥६१॥
अनुस्वारंके ऊपर जहां संयोग दीखे उसे हस्व जाने स०स्था यह दृशन्त है॥५१॥
अन॒स्वास्थयोदीर्घादक्षराद्योभवेत्परः ॥
, सतुद्वस्वइतिज्षेयोमेत्रेष्वेव विभाषया ॥ «२ ॥
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