महाभारत हरिवंशपर्व उत्तरार्ध | Mahabharat Harivanshparv Uttrardh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
846
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क् २०). # पदामारत-इरिबंशपवे १३% [चौथ
पर्थिते ॥१६॥ निःस्वाध्यायवपट्कारा अनेयाश्चाभिमानिनः ं
विप्र ऋव्यादरुपेण/सर्वभक्षा चुधावता। ॥१७॥ मूर्खाः सवार
पंगे चुब्पाः छुद्रा।;लुद्रपरिछछदा। । व्यवहारोपहचोश्च च्युता
धर्माच्च शाश्वतात्। १८॥ हतारः पररस्नाना परदारापहारकाः।
कामात्मानों दुरात्मान। सेपधाः प्रियसाहसा; ॥ १६ ॥ तेपु
प्रभषणानेषु तुल्पशीलेपु सवेतः । अमाविनो भविष्यन्ति झ्ुुनये
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यहुरूपिण; ॥ २० ॥ उत्पन्ना ये कृतयुगे प्रधानपुरुपाश्रयाः।
फथायेगिन सान् स्चान पूजपिष्यन्ति पानबा) ।* १ त्था चौरां
भविष्पन्ति तथा चैल्लापहारिण।। भक््यभोज्यापहाराश्व फर-
एहाना थे हारिण; ॥ २२ ॥ चौराश्वौरस्््प हतौरो इन्ता हतु-
चुगलखोरोंक्रे द्वारा पृथ्वीफा उपभोग करेंगे १६ ब्राह्मण
श्षसोकी सगान स्वाध्याप और वपंटकारसे हीम द्वोजाेंगे,
नीतिरदित और अभिपानी होजावेंगे स्भक्षी हेजावेंगे और
मिध्या जब करने लगेंगे। १७ ॥ उस समय मत्तुष्य मूखे, सवार्थ-
परापण लेभी छुद्र और हलके ओढने वाले होंगे और शाश्वत्त '
धर्मेसे ध्युत रेफर भोजन बस्तमें ही लगे रहेंगे॥। १८॥ दूसरेफे
रत्न और स्ल्रियोंक्रो छीनने वाले कामात्मा दुरात्मा और छली
होंगे और उनके साहप प्रिय होगा॥ १६ ॥ दे सद एकसे शील
जले न ऐश्वयंशाली होजापेंगे तद अनेक प्रफारका रूप घारण -
करने वाले बहुतसे पिनाशक्ी ओर दौड़ने बाले पुनि गफठ हो -
जावेगे ॥२०॥ उस समयके मलुष्य ऋतयुगयें उत्पन्न हुए प्रधान *
पुरुष ( ईश्वर ) फे आश्रण्से - रहने वाले भक्तोंकी कथायोगसे
पूजा परेंगे ( परन्तु अपने आप तैसता आचरण न फरेंगे ) २१
उस समय पुरुष वस्त्र चुराने वाले, भदय और भोज्प वस्तुओं
फो चुराने वाले और भन््ने उपले वा करिदयोंके चुराने वाले '
होगानेंगे ॥ २९ ।चोर घोरोंका घुराने लगेंगे और मारने साले
डजराशणआशिक का १ कक एफ कक प पक ए पक प पक फ पाक उ पक प पक. कार कप सकापा पा० इक
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