महाभारत हरिवंशपर्व उत्तरार्ध | Mahabharat Harivanshparv Uttrardh

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Mahabharat Harivanshparv Uttrardh by चतुर्वेदी रामचन्द्र शर्मा chaturvedi ramchandra sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्‍ २०). # पदामारत-इरिबंशपवे १३% [चौथ पर्थिते ॥१६॥ निःस्वाध्यायवपट्कारा अनेयाश्चाभिमानिनः ं विप्र ऋव्यादरुपेण/सर्वभक्षा चुधावता। ॥१७॥ मूर्खाः सवार पंगे चुब्पाः छुद्रा।;लुद्रपरिछछदा। । व्यवहारोपहचोश्च च्युता धर्माच्च शाश्वतात्‌। १८॥ हतारः पररस्नाना परदारापहारकाः। कामात्मानों दुरात्मान। सेपधाः प्रियसाहसा; ॥ १६ ॥ तेपु प्रभषणानेषु तुल्पशीलेपु सवेतः । अमाविनो भविष्यन्ति झ्ुुनये | ए हे | यहुरूपिण; ॥ २० ॥ उत्पन्ना ये कृतयुगे प्रधानपुरुपाश्रयाः। फथायेगिन सान्‌ स्चान पूजपिष्यन्ति पानबा) ।* १ त्था चौरां भविष्पन्ति तथा चैल्लापहारिण।। भक््यभोज्यापहाराश्व फर- एहाना थे हारिण; ॥ २२ ॥ चौराश्वौरस्‍््प हतौरो इन्ता हतु- चुगलखोरोंक्रे द्वारा पृथ्वीफा उपभोग करेंगे १६ ब्राह्मण श्षसोकी सगान स्वाध्याप और वपंटकारसे हीम द्वोजाेंगे, नीतिरदित और अभिपानी होजावेंगे स्भक्षी हेजावेंगे और मिध्या जब करने लगेंगे। १७ ॥ उस समय मत्तुष्य मूखे, सवार्थ- परापण लेभी छुद्र और हलके ओढने वाले होंगे और शाश्वत्त ' धर्मेसे ध्युत रेफर भोजन बस्तमें ही लगे रहेंगे॥। १८॥ दूसरेफे रत्न और स्ल्रियोंक्रो छीनने वाले कामात्मा दुरात्मा और छली होंगे और उनके साहप प्रिय होगा॥ १६ ॥ दे सद एकसे शील जले न ऐश्वयंशाली होजापेंगे तद अनेक प्रफारका रूप घारण - करने वाले बहुतसे पिनाशक्ी ओर दौड़ने बाले पुनि गफठ हो - जावेगे ॥२०॥ उस समयके मलुष्य ऋतयुगयें उत्पन्न हुए प्रधान * पुरुष ( ईश्वर ) फे आश्रण्से - रहने वाले भक्तोंकी कथायोगसे पूजा परेंगे ( परन्तु अपने आप तैसता आचरण न फरेंगे ) २१ उस समय पुरुष वस्त्र चुराने वाले, भदय और भोज्प वस्तुओं फो चुराने वाले और भन्‍्ने उपले वा करिदयोंके चुराने वाले ' होगानेंगे ॥ २९ ।चोर घोरोंका घुराने लगेंगे और मारने साले डजराशणआशिक का १ कक एफ कक प पक ए पक प पक फ पाक उ पक प पक. कार कप सकापा पा० इक




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