बीकानेर जिले में स्वातन्त्रयोंत्तर हिन्दी काव्य चेतना | Bikaner Zille Men Swatantryottar Hindi Kavya Chetna

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Bikaner Zille Men Swatantryottar Hindi Kavya Chetna by बनवारी लाल - Banwari Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह्‌ बडी कुशलता पूवक की । भ ग्रेजो के साथ बीछानेट के आरम्भ से ही अच्छे सम्ब- न्ध रहे, जिससे बीकानेर मे हर तरफ से सुधार हुए । श्रावश्यकता पड़ने पर बीकानेर नरेश्ों ने प्र ग्रेजो की घन और जत से सहायता भी की । वोकानेर में डू गरसिह मे सुधार के काय किये * हू गरथिंह के कोई संतान न होने के कारण उ होने भ्रपने भाई गयातिह को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो सात व की आयु [अ्रगस्त ३१, १८८७) में बीकानेर के स्वामी बने ।2 गगासिह का शासव- फाल' बीकानेर राज्य के इतिहास मे स्वशायुग माना जाता है । गगनहर के निर्माण का काय उनका बहुत ही प्रशसनीय है । गगासिह ने कई बार प्रार्राष्ट्रीय मामलो में भारत का प्रतिनिधित्व किया ।2 राष्ट्रीय श्रादोलन और बीकानेर -- भ्रग्नेजा के चुग्रुलस देश को निकालने का प्रग्ृत्त काग्रेस को स्थापना के साथ ही हो गया था परन्तु महात्मा माघी के राजनेतिक क्षेत्र मे आने से पहले यह भ्रा'दोलन बुछ सीमित था | गाधी-युग के साथ सावजनिक जीवन में एक मय प्रध्याय का श्री गऐेश हुआ । इस समय राष्ट्र ने परावलम्बी वृत्ति को त्याग कर स्वावलस्वन, प्रसहयोग और सत्याग्रह के माय को प्रपनाया । एक वध में ( सम १६२१-५२) स्वराज्य प्राप्ति को प्रार्काक्षा इतनी तेजी से फनी कि देशी राज्यों की जनता जो झ्रव तक सो रही थी वह भी जाग उठी । बीकानेर को जनता मे भी इही दिनो मे जायति का श्रीगरोद हभा । इस समय में यहा पर भ्रफसरा की रिश्वत खोरी और अयाय के विरुध भावाज उठायी गई । इसी समय में “सद्‌ विद्याचारिणी” सभा की स्पापना हुई जिसके प्रधान श्रो मुक्‍ता प्रसाद बकील धोर मत्री श्री वालूराम बरडिया बने | इस सभा ने जन जागृति के लिए ' सत्य विजय ” और “घम विजय ” दा नाठक खेले । इलही दिनो बोकातेर मे विदेशी कपडो की होली जलाई गई । यह पहला सार्वेज- निक राजनेतिक भायोजन था । सपा न न मरपपप धारा १-- गोरीश्षकर हीराचद श्रामा -- बीकानेर राज्य का इतिहास (दूसरा भाग) पृष्ठ ४८४६ हु 9 हर] + हा] + ला धर जल 4 के ब्र प्४० श ड़ > क्र ४-- सम्पादक श्रो सत्यदेव विद्यालकार - बीकानेर का राजनैतिद विकात श्ौर पडित मधाराम वैय पृष्ठ १७




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