दमयन्ती | Damynti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
70 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रबप्त सर्ग
मुस्तरा पु्पो-सहित क्से रहे
सोख्य इनक्ना झाज कोई क्या - बहे
ये लली उमप्रश्रोर लिसने जो कत्ती
ये इधर वल्सी सुसण्जित हैं भली
साज-धारे सुखद उत्सुक होन्रहीं
प्राण सब मासिन्य बग्रपना खोन्रही
ज्यों वियागिन प्रियवमायम सुन भ्रहा
हा सुसण्बित ग्यौर मुद-पाती महा
ये इधर वज्जुत भ्रशोग उघर-खड़े
नाम-के प्रनुर्ष ही हृुपित बड़े
बे-सताएँ बेप्य्लि क्र वक्षन्से
हैं रास खडे-हए, यर कदान्स
प्राप्त रात सुहागन्सी रस-छूटत
प्रन््के व्थन सूह़ कब! टूटते
हूरहे उ्रभोर नम को ताड हैं
यान्थय ये सोल-नम-्की भ्राड हैं
इघधर छतपत्री फदलियों से पिरो,
सगरहीं मानों घटा विधु-पर फिरी
केमु-सा सहरा रहा प्लै केतकी
वाजू रक्षबन्सी जड़ी है. पत-को
मस्लिता महू मसाथवी चम्पा बहीं
ग्रूषिका वासन्तिका बुब्जज यही
बांटता यहू, इधर गन्ध कदम्य है,
पर, म दृग्गोचर कही कट़ुन्निम्व है
स्वर्ण-जाति सुवापिकी मच्डक खा
माधबी-युत,_ कर्िकार मुदित - बड़े
विविध-तद परिपूण सुम्दरूस्यान है,
बया न होता जब कि राजोधाम है
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