शंकर उद्वैत वेदान्त का निर्गुण काव्य पर प्रभाव | Shadankar Adaivet Vedant Ka Nirgun Kavya Par Prabhav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
441
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हु
हैई झन त ब्रह्मा सत्ता को तानपरवा यारप्रा वे साथ उम्त काय से भाव
आंत $ | वनतर ब्रद्मनिवचन वा आधार उपनिपद झौर इनकी तत्त्व हप्ि
लाद्धूर भरत तवानी है। पय पर थे इस प्रकरण म इटटो पक्षा को अस्तुत किया
ग्रमा है। बौद्धलशाय क॑ अभ्रतगत वितान और धूय प्विद्धा ता के प्रभाव का
पिवेबन इसमे थलग से सही विया यथा है। धूय शाह के साथनात्मक रूप
एवं उसकी प्रह्मवाटी समीला को और अवश्य ध्यान लिया गया है।
अवपय के सोलहव प्रकरण मे निगु रय वविया वी सप्टि सम्बंधी विचार
घारा का परिचय टिया गया है। नियुख काइम अंद्वत सिद्धांत सम्मत
सप्ति प्म्व वी निम्नतिधित मावनाए उपबब्ध है --
१ गित भात्रगा !
२ प्रतिविम्व भायना |
३ प्रसव भावना ।
इस भावगाओ मे वियत मावता सर्वोवित्र महच्त्यपूरा है श्रोर लिगुश
काम भें इसवा प्रभाव स्पष्ट है। चाद्धूर बरह्मवाद से चितन वे क्षय मे विवतत
तिद्वात की महत्वरृूण स्थिति है । अध्यास मिद्धा तब द्वारा भ्रतान की
प्रनानि श्रौर नेसागिक सत्ता स्वीकार करके भो उसका मिथ्यात्व स्वावार
किया गया है। वियत विद्धात से अविद्यात्म जगामिध्यात्व की व्यास्या
वी जाती है । निगु ण काव्य मे चाद्भूर प्रद्व तवाः दे प्रभाव का पुष्टि करती
हुई उक्त मावता का प्रमुस स्थान है। प्रह्न त ब्रह्म सत्ता मे द्व तजाय जया
भाप्त थी प्रावह्रिवा स्थिति है, कितु परमाथ मे अ्रव्यनीय प्रह्म वे
भतिरिक्त बुध भी भेप नही है | ब्रह्म वे इस परायात्मिक स्वरूप म ग्रविद्या
पक पंचथ सना की स्विति का निवचन विवतवाल बरता है । निगु शा काप्य
में यहीं एक और सप्ति श्रम बन उपल घ है वे सब्टि के चिदत मैप की
और भी स्पृप्ट सबत रिया गया है
प्रतिविस््व मावना की डियाए विवत्ध स बुद्ध भित् है । विचत भावना
मे पाचमौत्तिव पटाभमत्ता व1 भिव्यात्व अ्तिवारित किया जाता है और
प्रतिविम्ब भावना जगत का ब्रह्म वी. प्रतिच्छाया रूप मे स्वीकार बरती है।
जिस प्रशार छाया या प्रतिविम्व की स्थिति छाया वजन वाले पदाथ या
“पक्ति वर निभर करता हैं बस ही समस्त्र विश्व प्रतिविम्ध परभ्रह्म पर
पराधारित है। वस्तुत छाया आमास मात है भौर प्राभास भिष्या हीता है ।
भाधासक ब्रह्म ही सत्य है और इस सत्यामास से जग्रत को मिच्या स्थिति मम
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